जिला कमेटी की घोषणा के बाद ही विवादों में घिरी भाजपा की नई टीम

जिला भाजपा शहरी की नई टीम घोषणा के कुछ घटे बाद ही विवादों में फंस गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 01:26 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 03:38 AM (IST)
जिला कमेटी की घोषणा के बाद ही विवादों में घिरी भाजपा की नई टीम
जिला कमेटी की घोषणा के बाद ही विवादों में घिरी भाजपा की नई टीम

जागरण संवाददाता जालंधर

जिला भाजपा शहरी की नई टीम घोषणा के कुछ घटे बाद ही विवादों में फंस गई है। सचिव बनाए गए संदीप भल्ला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। संदीप भल्ला ने जिला प्रधान सुशील शर्मा को इस्तीफा भेज दिया है और कहा है कि वे यह पद नहीं संभाल रहे हैं। संदीप भल्ला का आरोप है कि उन्हें जिला उपप्रधान लाने का वादा किया गया था लेकिन सचिव बनाया गया है। भल्ला ने कहा कि वह बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद में जिला संयोजक रहे हैं ऐसे में सचिव पद लेने का कोई मतलब नहीं बनता है। भल्ला ने यह भी आरोप लगाया कि एक सप्ताह पहले जिला भाजपा देहाती के प्रधान अमरजीत सिंह अमरी ने उनसे वादा किया था कि वह उन्हें जिला भाजपा शहरी में उप प्रधान बनवा देंगे। इसके लिए उन्हें 50 हजार रुपये पार्टी फंड के लिए शहरी इकाई को देने होंगे। भल्ला ने कहा कि वह इस बात पर भी राजी हो गए थे क्योंकि पार्टी के लिए फंड देना कुछ गलत नहीं है। भल्ला ने कहा कि लेकिन जब आज टीम की घोषणा हुई तो उन्हें सचिव बनाया गया है और वह पद ग्रहण नहीं करेंगे। उनके साथ जो वादा किया गया था, वह पूरी नहीं किया गया। संदीप भल्ला पूर्व विधायक केडी भंडारी के करीबी हैं। पार्टी के लिए कोई फंड नहीं मागा : अमरी

जिला भाजपा देहाती के प्रधान अमरजीत सिंह अमरी ने संदीप भल्ला के आरोपों को गलत बताया है। अमरी ने कहा कि उनकी संदीप भल्ला से पार्टी फंड को लेकर कोई बात नहीं हुई है। अमरी ने कहा कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे महत्वपूर्ण संगठनों में एवं पदों पर रहे संदीप भल्ला से ऐसे आरोपों की उम्मीद नहीं है। संदीप भल्ला के आरोप निराधार, एक्शन लेंगे: सुशील शर्मा जिला भाजपा अध्यक्ष सुशील शर्मा ने संदीप भल्ला के आरोपों को निराधार बताया है। सुशील शर्मा ने कहा कि भाजपा में फंड देकर पद देने वाला कोई सिस्टम नहीं है। किसी भी पद को लेकर किसी भी नेता के साथ कोई कमिटमेंट नहीं की जाती है। भल्ला को यह आरोप साबित भी करने होंगे और उन्हें एक्शन भी झेलना होगा। संगठन में व्यक्ति की इच्छा से पद नहीं मिलता है। जिन्हें काम करना होता है उन्हें पद की जरूरत भी नहीं होती। यह मामला प्रदेश अध्यक्ष और सीनियर नेताओं के साथ उठाया जाएगा और अनुशासन कमेटी भी इस मामले को देखेगी।

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