युवाओं के रोल माडल थे बलबीर सिंह जूनियर, भारतीय हाकी टीम को दे चुके हैं 20 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी
शियन गेम्स में रजत पदक जीतने वाले हाकी खिलाड़ी बलबीर सिंह जूनियर की मौत की खबर के बाद उनके पैतृक गांव संसारपुर में शोक की लहर दौड़ गई। बलबीर शुरू से ही गांव के तमाम युवाओं के रोल माडल थे।
जालंधर, कमल किशोर। एशियन गेम्स में रजत पदक जीतने वाले हाकी खिलाड़ी बलबीर सिंह जूनियर की मौत की खबर के बाद उनके पैतृक गांव संसारपुर में शोक की लहर दौड़ गई। बलबीर शुरू से ही गांव के तमाम युवाओं के रोल माडल थे। उनकी उपलब्धियों से प्रभावित होकर तमाम युवाओं ने हाकी के खेल को अपनाया था। बलबीर 35 साल पहले यहां से चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए थे। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी मनदीप समरा ने दी है। गांव को हाकी का मक्का-मदीना के रूप में प्रसिद्ध करने में बलबीर का खासा योगदान था। इन्होंने गांव में हाकी की जो अलख जगाई थी उसने इस गांव से 13 ओलंपियन पैदा किए। साथ ही हाकी के करीब बीस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को जन्म दिया। आज भी भारतीय हाकी टीम में जालंधर का प्रतिनिधित्व कई खिलाड़ी कर रहे हैं।
बलबीर सिंह जूनियर का जन्म 1932 में संसारपुर में हुआ था, जो बाद में चलकर हाकी का मक्का-मदीना कहलाया। छह साल की उम्र से ही उन्होंने हाकी पकड़ ली थी। बलबीर खालसा कालेज व डीएवी कालेज में पढ़ाई के साथ-साथ हाकी खेलते रहे। हाकी में शानदार प्रदर्शन करने की बदौलत उन्हें पंजाब यूनिवर्सिटी हाकी टीम की कप्तानी भी मिली थी। इसके बाद बलबीर जूनियर ने रेलवे की तरफ से खेलना शुरू किया। बलबीर सिंह सेंटर फारवर्ड खेलते थे। उनके दम पर 1957, 58 व 59 में रेलवे लगातार तीन बार नेशनल चैंपियन का खिताब अपने नाम किया।
संसारपुर पहुंचने पर गांववासियों ने हाकी स्टिक देकर किया था सम्मानित
यादें ताजा करते हुए संसारपुर के रहने वाले पूर्व हाकी खिलाड़ी कर्नल बलबीर सिंह ने कहा कि 1958 में टोक्यो में हुई एशियाई खेलों में भारतीय टीम ने रजत पदक जीता था। बलबीर सिंह जूनियर टीम का हिस्सा थे। रजत पदक जीतने के बाद बलबीर सिंह जूनियर संसारपुर गांव पहुंचे। गांव पहुंचने पर गांववासियों ने उनके स्वागत के लिए गुरुद्वारा साहिब में एक समारोह रखा था। इस समारोह में बलबीर सिंह जूनियर को गांववासियों की तरफ से सिरोपा व हाकी स्टिक देकर सम्मानित किया गया था। भारतीय सेना में मेजर के रूप में सेवानिवृत होने के बाद चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए थे। वर्ष 1951 में जब भारतीय हाकी टीम ने अफगानिस्तान का दौरा किया तो उन्हें भारत के लिए खेलने के लिए चुना गया था। वर्ष 1962 भारतीय सेना से जुड़े। वर्ष 1984 में मेजर के पद से रिटायर होने के बाद चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए।
हाकी जगत को उनकी कमी खलती रहेगी
ओलंपियन हरप्रीत सिंह मंडेर ने कहा कि बलबीर सिंह जूनियर संसारपुर के तमाम युवाओं के लिए रोल माडल थे। सादगी से भरपूर थे। हाकी जगत को इनकी कमी खलती रहेगी। कई युवाओं ने इन्हें देखकर हाकी खेलना शुरू किया था।
देश ने एक बढ़िया खिलाड़ी खो दिया
लायलपुर खालसा कालेज के प्रिंसिपल डा. गुरपिंदर सिंह ने कहा कि कालेज ने कई बेहतर खिलाड़ी दिए है, जिनमें बलबीर सिंह जूनियर भी शामिल है। हाकी जगत में शोक की लहर है। देश ने एक बढ़िया खिलाड़ी खो दिया है।