हरप्रीत बनीं बेसहारा जानवरों का सहारा

कुछ लोग जहां बेजुबान और बेसहारा जानवरों पर जुल्म ढा रहे हैं तो वहीं हरप्रीत बक्शी उन जानवरों का सहारा बनी हुई है। पिछले आठ साल से वह शहर के बेसहारा कुत्तों की सेवा में लगी हुई हैं। लाकडाउन के दौरान भी उन्होंने शहर में घूम-घूम कर कुत्तों को खाना खिलाया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 08:00 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 08:00 AM (IST)
हरप्रीत बनीं बेसहारा जानवरों का सहारा
हरप्रीत बनीं बेसहारा जानवरों का सहारा

प्रियंका सिंह, जालंधर

कुछ लोग जहां बेजुबान और बेसहारा जानवरों पर जुल्म ढा रहे हैं तो वहीं हरप्रीत बक्शी उन जानवरों का सहारा बनी हुई है। पिछले आठ साल से वह शहर के बेसहारा कुत्तों की सेवा में लगी हुई हैं। लाकडाउन के दौरान भी उन्होंने शहर में घूम-घूम कर कुत्तों को खाना खिलाया।

वह लगभग चार साल से एनिमल प्रोटेक्शन फाउंडेशन से जुड़कर जानवरों के प्रति अपनी सेवा निभा रही हैं। पति युवी कौशिक के पशुओं के प्रति प्रेम से भी वह बहुत प्रभावित हैं। युवी कई साल से फाउंडेशन बनाकर भूखे और घायल जानवरों का इलाज करवा रहे हैं। आने वाले समय में इन जानवरों के लिए वह कुछ अलग करने वाले हैं जिससे जानवरों को कोई परेशानी नहीं आए।

एनिमल प्रोटेक्शन फाउंडेशन के संचालक युवी की पत्नी हरप्रीत में जानवरों के प्रति बहुत ही प्यार और स्नेह है। वह कहीं भी कुत्तों को जख्मी या घायल देखती हैं तो उसी वक्त लोगों की मदद से उसे घर ले आती हैं और उसका इलाज करती हैं। वह शिव विहार में रहती हैं और अपने मोहल्ले के अलावा शहर में घूम-घूमकर कुत्तों को खाना खिलाती हैं। यही नहीं लाकडाउन में अमृतसर और इसके साथ ही अन्य कई शहरों में जाकर कुत्तों को खाना खिलाया एवं उनका इलाज करवाया। चाहे रात के दो बजे हो या फिर सुबह के पांच बजे, इन्हें जब भी कहीं से कोई फोन आता है तो वहां पर पहुंच जाती हैं। हरप्रीत कहती हैं कि शुरू शुरू में जब कुत्तों को खाना खिलाने जाते थे तब कुछ लोग बातें करते थे। हमें बोलते थे लेकिन हमने उनकी परवाह नहीं की बस अपना काम करते रहे।

ठीक होने पर कुत्तों को उनके एरिया में छोड़ देते हैं

जहां से लोग मदद के लिए फोन करते हैं वहां पर वह पहुंच जाती हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि खुद नहीं जा पाई तो जख्मी कुत्तों को घर मंगवा लेती हैं और उनका इलाज करवातीं हैं। जब तक कुत्ते पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते उन्हें अपने पास रखकर उसका ध्यान रखती हैं। फिर उन्हें उनके एरिया में छोड़ आती हैं। यह जब घर से निकलती हैं तो कुछ ना कुछ बैग में रख लेती है ताकि जहां भी भूखे कुत्ते मिले उन्हें खिलाया जाए। इनके घर में हमेशा आठ से 10 कुत्ते रहते हैं जिन्हें यह रोजाना खाना खिलाती है। बेजुबानों को ना मारें

हरप्रीत कहती है कि हम इंसान अपना दुख सुख बोल कर बता सकते हैं लेकिन यह बेजुबान जानवर चुप चाप सहते रहते हैं। आप जितना इनसे प्यार करोगे यह उसका दोगुना आपसे करते हैं। जब भी बारिश हो तो अपने घर के दरवाजे खोल दें ताकि यह बारिश से बच सकें। कुत्ते के बच्चों को भी ना मारें। अगर इन्हें खाना नहीं खिला सकते तो इन पर जुल्म भी ना करें।

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