गुरुनगरी में दशहरे के मंच पर बदलेंगे चेहरे, पढ़ें अमृतसर की और भी रोचक खबरें
अनिल जोशी के भाजपा में रहते हुए मंच की शान बड़े भाजपा नेता ही रहे। इंद्रबीर बुलारिया के वर्ष 2017 में कांग्रेस पार्टी में जाने के बाद जहां मंच की तासीर बदल गई थी वहीं अनिल जोशी के अब अकाली दल में आने के बाद मंच की तासीर बदलेगी।
विपिन कुमार राणा, अमृतसर। गुरुनगरी में दशहरे के मंच हमेशा ही सियासी अखाड़े की वजह से जाने जाते रहे हैं। फिर चाहे वह भद्रकाली में विधायक इंद्रबीर सिंह बुलारिया के नेतृत्व में लगने वाला मंच हो या फिर रणजीत एवेन्यू में पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी की देखरेख में सजने वाली स्टेज। विधायक इंद्रबीर बुलारिया शिरोमणि अकाली दल में थे तो मंच की रौनक अकालियों से सराबोर रहती थी। ऐसा ही आलम रणजीत एवेन्यू के मंच का था। अनिल जोशी के भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए मंच की शान बड़े भाजपा नेता ही रहे। इंद्रबीर बुलारिया के वर्ष 2017 में कांग्रेस पार्टी में जाने के बाद जहां मंच की तासीर बदल गई थी, वहीं अनिल जोशी के अब अकाली दल में आने के बाद मंच की तासीर बदलेगी। मंच की शोभा पहले जहां शीर्ष भारतीय जनता पार्टी-संघ लीडरशिप हुआ करती थी, वहीं इस बार शिरोमणि अकाली दल के सुप्रीमो मंच की शोभा बढ़ाएंगे।
इनके अच्छे दिन कब आएंगे?
पंजाब में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद नवजोत ङ्क्षसह सिद्धू के कुनबे के दिन फिरते दिखाई नहीं दे रहे। प्रदेश में जब सरकार बनी तो नवजोत सिद्धू मंत्री भी बन गए, पर जल्द ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। ढाई साल तक सिद्धू तो सियासी हाशिये पर रहे ही, उनका कुनबा भी दिन फिरने का इंतजार करता रहा। सिद्धू के पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान बनने और उसके बाद कैप्टन अमङ्क्षरदर ङ्क्षसह के इस्तीफे के बाद एक बार फिर से उनकी टीम को उम्मीद जगी कि अब तो पावर सेंटर नवजोत सिद्धू ही होंगे। उन्हें लगा कि उनके दिन फिरना तय है, पर इस उम्मीद पर भी तब पानी फिर गया, जब सिद्धू बनाम सरकार की फिर से लड़ाई शुरू हो गई। परेशान सिद्धू खेमा उनके सरकार से टकराव के तर्क तो दे रहा है, पर अंदरखाते वह महसूस भी कर रहा है कि उनके अच्छे दिन कब आएंगे?
छूट रहे पुलिस के पसीने
किसानों के आंदोलन ने पुलिस मुलाजिमों के लिए बहुत परेशानी बढ़ाई हुई है। पिछले दिनों भारत बंद और उसके बाद यूपी के लखीमपुर खीरी में हुई ङ्क्षहसा के विरोध में किसान सड़क पर उतरे। जाहिर सी बात है कि किसानों का साफ्ट टारगेट भाजपा नेता बने हुए हैं। अब पुलिस के लिए भी यह सिरदर्दी बना हुआ है कि पता नहीं किसान कब किसे घेर लें। यही वजह रही कि किसानों की मूवमेंट का जैसे-जैसे पुलिस को पता लगता रहा, वैसे-वैसे वह रिक्शा में बैरिकेड्स लादकर किसानों के आगे-आगे दौड़ती रही। एक जगह पर प्रदर्शन से पहले जब बैरिकेड्स ले जाने पड़े तो एक मुलाजिम के मुंह से बरबस ही निकल गया। बोले कि किसानों का जब दिल चाहता है, वहां पहुंच कर धरना प्रदर्शन करने लग जाते हैं। दिक्कत तो हमें आती है कि उनसे पहले वहां पहुंचकर बैरिकेडिंग करनी पड़ती है, ताकि वहां पर माहौल खराब न हो।
इतने तो लोग कपड़े नहीं बदलते
कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच बने विवाद ने कांग्रेसियों के लिए विकट हालात बना दिए हैं। कैप्टन के सीएम रहते हुए शहर का बड़ा कांग्रेसी धड़ा उनके साथ रहा, तो सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कुछ उनके साथ खड़े हो गए। अब कैप्टन के कांग्रेस छोड़ने की अटकलों और सिद्धू के इस्तीफा की घोषणा से कांग्रेसी असमंजस में हैं कि आखिर अब वह किस सियासी धड़े का हिस्सा बनें? पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता इकट्ठे हुए तो बरबस ही कैप्टन-सिद्धू विवाद पर चर्चा छिड़ गई। एक नेता ने चुटकी लेते हुए कटाक्ष किया कि जिस तरह से शहर के कांग्रेसियों को धड़े बदलने पड़ रहे हैं, इतने तो लोग कपड़े नहीं बदलते। रोज बदल रहे घटनाक्रम से असल में परेशान तो वर्कर हैं कि आखिर वह किसके साथ खड़े हों। नेताओं की वजह से ही चुनावी माहौल बिगड़कर रह गया है।