'आयुष्मान' ने दी दस वर्षीय बच्चे को नई जिंदगी, GNDH अमृतसर में 3 लाख का आपरेशन मुफ्त में हुआ

गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) अमृतसर में मनी नाम के इस बच्चे का दिल का आपरेशन निश्शुल्क हुआ। उसके परिवार के पास आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना का कार्ड था। इसके तहत सारी प्रक्रिया निश्शुल्क की गई।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 09:59 AM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 10:18 AM (IST)
'आयुष्मान' ने दी दस वर्षीय बच्चे को नई जिंदगी, GNDH अमृतसर में 3 लाख का आपरेशन मुफ्त में हुआ
अमृतसर स्थित कैथ लैब में आपरेशन के बाद दस वर्षीय मनी।

नितिन धीमान, अमृतसर। आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना आज लाखों लोगों के लिए वरदान बनी हुई है। इस योजना ने शहर के वेरका इलाके में रहने वाले एक दस वर्षीय बच्चे को नई जिंदगी दी। गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में मनी नाम के इस बच्चे का दिल का आपरेशन निश्शुल्क हुआ। उसके परिवार के पास आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना का कार्ड था। इसके तहत सारी प्रक्रिया निश्शुल्क की गई।

जीएनडीएच में दस वर्षीय बच्चे का सफल आपरेशन करके डाक्टरों ने इतिहास रचा है। दरअसल, मनी को बार-बार बुखार होता था। उसकी सांस फूलती थी और वजन भी कम हो रहा था। जांच में पता चला कि बच्चे के दिल की धमनियों के बीच छेद था। चिकित्सा जगत में इसे पीडीए कहा जाता है। इसे एक विशेष डिवाइस से बंद किया जा सकता है। इसी माह जीएनडीएच में शुरू हुई कैथ लैब में बच्चे को लाया गया। यहां डीएम कार्डियोलाजिस्ट डा. परमिंदर सिंह ने बच्चे की जांच की। इसके बाद हृदय में पेटेंट डक्ट्स आर्टरीओसस (पीडीए) डिवाइस लगाने का निर्णय किया।

इस तरह दिल में लगाया डिवाइस

आमतौर पर दिल में पीडीए डिवाइस लगाने के लिए मरीज के सीने की चीरफाड़ की जाती है पर इस कैथ लैब में ऐसा नहीं किया गया। बच्चे के गले के जरिए कैथीटेराइज डालकर हृदय तक पहुंचाई गई। कैथीटेराइज में ही पीडीए डिवाइस दिल तक भेजा गया। जैसे ही कैथीटेराइज हृदय तक पहुंचाया गया। इसके आगे लगा बैलून खुला और पीडीए डिवाइस उस हृदय की उन धमनियां तक पहुंचा जहां छेद था। डिवाइस को छेद में प्रत्यारोपित कर दिया गया।

महज दो घंटे में पूरी हुई प्रक्रिया

बिना चीरफाड़ के यह प्रक्रिया महज दो घंटे में पूरी हुई। शहर में केवल एक निजी अस्पताल में पीडीए डिवाइस बिना चीरफाड़ के प्रत्यारोपित किया जाता है, पर वहां पर करीब तीन लाख रुपये खर्च होते हैं, पर परिवार का आयुष्मान का कार्ड बना होने के कारण जीएनडीएच में हुए उपचार की मद में कोई राशि नहीं ली गई।

इससे पूर्व पांच मरीजों के हो चुके हैैं आपरेशन

जीएनडीएच के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. केडी सिंह का कहना है कि कैथ लैब शुरू होने से दिल के रोगियों को काफी सुविधा मिली है। पूर्व में पांच मरीजों के हृदय संंबंधी आपरेशन किए जा चुके हैं। इनकी उम्र 40 से अधिक रही है। पीडीए डिवाइस प्रत्यारोपित करने में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है उसमें किसी तरह की चीरफाड़ नहीं की गई।

क्या है पीडीए

पीडीए एक ऐसा रोग है जिसमें हृदय की दो मुख्य धमनियों के बीच जन्मजात छेद हो जाता है। इससे हृदय में खून की पंपिंग पर असर पड़ता है। आक्सीजन युक्त रक्त व आक्सीजन विहीन रक्त का मिश्रण होने लगता है। इससे मरीज को हार्ट अटैक आ सकता है। वहीं जान भी जा सकती है। ऐसे में इस छेद को बंद करना बेहद जरूरी है। यह बीमारी जन्मजात होती है।

पूर्व की सरकार ने किया था डेढ़ लाख रुपये का प्रावधान

पूर्व की अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के शासन में ऐसे बच्चों के उपचार के लिए डेढ़ लाख की राशि का प्रावधान था, पर निजी अस्पतालों में ढाई से तीन लाख रुपये खर्च होते हैं। जीएनडीएच में आयुष्मान कार्ड धारकों के लिए इस प्रकार के आपरेशन, सामान व दवाएं निश्शुल्क हैं, जबकि जो कार्ड धारक नहीं हैं उन्हें केवल पीडीए डिवाइस खरीदनी पड़ती हैं। आपरेशन की प्रक्रिया निश्शुल्क की जाती है।

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