अमृतसर में अजब मामला, नहीं सुलझ रहा GNDH से गायब हुए 600 किलो के लोहे के गेट का रहस्य

अमृतसर के जीएनडीएच से 600 किलो का गेट गायब हो जाता है और किसी को कानों कान खबर तक नहीं लगती है। अब इसे ढूंढ़ना अस्पताल प्रशासन व सुरक्षा कर्मियों के लिए टेड़ी खीर बनता जा रहा है। किसी को मालूम नहीं है कि इसे कौन ले गया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 01:52 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 03:27 PM (IST)
अमृतसर में अजब मामला, नहीं सुलझ रहा GNDH से गायब हुए 600 किलो के लोहे के गेट का रहस्य
अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल पर लगा लोहे का गेट गायब हो गया है।

अमृतसर, जेएनएन। यहां अजब मामला समाने आया है। गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) का प्रवेश द्वार गायब हो गया है। 600 किलो का गेट गायब हो जाता है और किसी को कानों कान खबर तक नहीं लगती है। अब इसे ढूंढ़ना अस्पताल प्रशासन व सुरक्षा कर्मियों के लिए टेड़ी खीर बनता जा रहा है। किसी को मालूम नहीं है कि यह गेट कब यहां लगाया गया था। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. केडी सिंह ने इसी कालेज व अस्पताल में पढ़ाई की थी, इसलिए वह पूरी तरह आश्वस्त हैं कि यहां गेट लगा था। रोचक पहलू यह है कि डॉ. केडी सिंह के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट का पद ज्वाइन करने से पहले इस अस्पताल में एक डंडा गेट लगाया गया है। यह डेढ़ वर्ष पहले लगा था। हालांकि इस डंडा गेट को कभी बंद नहीं किया जाता। न ही यहां सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं।

इतना जरूरी है कि डंडा गेट से पहले वाहन पार्किंग के कर्मचारियों ने रस्सी गेट लगा रखा है। जैसे ही कोई वाहन चालक अस्पताल में प्रवेश करता है, यह रस्सी उठा दी जाती है और पार्किंग के कर्मचारी उससे वाहन अंदर जाने की एवज में 20 रुपये पार्किंग शुल्क वसूलते हैं। प्रवेश द्वार से लोहे का भारी भरकम गेट गायब होने के बाद रस्सी गेट और डंडा गेट तो बना दिए गए हैं पर इनका कोई सदुपयोग नहीं हैं। अस्पताल में चोरी की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं हैं।

अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल पर लगा लोहे का गेट गायब हो गया है। हालांकि इसके बाद रस्सी लगाकर लोगों से पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है। इसके पीछे लगे डंडा गेट का उपयोग नहीं किया जाता है।

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सुरक्षा पर लगा प्रश्न चिन्ह

जीएनडीएच से गेट गायब होने का मामला यहां चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि अभी तक किसी के पास यह जवाब नहीं है कि गेट आखिरकार कहां चला गया है। इसके चोरी होने की शिकायत भी नहीं दर्ज करवाई गई है। इस कारण अस्पताल प्रशासन और सुरक्षा कर्मियों की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है।

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