बहू लुक में साड़ी बांध APJ College की वंशिका फर्स्ट, रेड कार्पेट थीम पर कृतिका को दूसरा स्थान

प्रिंसिपल डा. नीरजा ढींगरा ने कहा कि साड़ी हमारी भारतीय संस्कृति में केवल एक पहरावा ही नहीं बल्कि एक पहचान चिन्ह हैं। आज के प्रतिदिन बदलते फैशन के दौर में इस साड़ी की प्रथा को संजोए रखने की खास जरूरत है।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 03:58 PM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 04:05 PM (IST)
बहू लुक में साड़ी बांध APJ College की वंशिका फर्स्ट, रेड कार्पेट थीम पर कृतिका को दूसरा स्थान
विजेता वंशिका को सम्मानित करती हुईं प्रिंसिपल डा. नीरजा ढींगरा।

जासं, जालंधर। साड़ी पहनना भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। इसी विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एपीजे कालेज आफ फाइन आर्ट्स के डिजाइन विभाग की ओर साड़ी बांधने का मुकाबला करवाया गया। इसमें बीएड सेमेस्टर तीन की वंशिका ने साड़ी पहनने में बहु लुक के साथ पहला, कृतिका चावला ने रेड कार्पेट थीम के साथ दूसरा, नितिका पाल, निदिता ने तीसरा स्थान हासिल किया। इसी तरह से सुधीव, जैसमीन को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।

इस मुकाबले में विभिन्न विभागों से छात्राओं ने बड़े ही उत्साह के साथ भाग लिया। इसमें साड़ी पहनने के तरीकों के साथ-साथ हर खास मौके पर साड़ी पहनने की लुक को भी दिखाया गया। जैसे कार्पोरेट सेक्टर में साड़ी को कैसे पहना जा सकता है। शादी या अन्य समारोहों में और रेड कार्पेट लुक में साड़ी पहने का तरीका भी दिखाया गया। इस मौके पर निर्णायकगण की भूमिका कर्मशियल आर्ट व जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन में मास्टर की डिग्री होल्डर अंजली दादा और निमिशा कपूर ने निभाई।

साड़ी बांधने की प्रतियोगिता में एपीजे कालेज आफ फाइन आर्ट्स की छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

प्रिंसिपल डा. नीरजा ढींगरा ने कहा कि साड़ी हमारी भारतीय संस्कृति में केवल एक पहरावा ही नहीं, बल्कि एक पहचान चिन्ह हैं। आजकल बदलते फैशन के दौर में इस साड़ी की प्रथा को संजोए रखने की खास जरूरत है। इसी उद्देश्य को मुख्य रखते हुए यह मुकाबला करवाया गया, जिसमें छात्राओं ने बखूबी भाग भी लिया और अपनी साड़ी से जुड़ी संस्कृति की झलक को भी प्रस्तुत कर सभी को आकर्षित किया। उम्मीद है कि छात्राएं साड़ी को आगे भी इसी जज्बे के साथ पहनती रहेंगी। अंत में उन्होंने इस प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए रजनी गुप्ता, रजनी कुमार के प्रयासों को सराहा। उन्होंने छात्राओं को भी अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया।

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