आप हाईकमान का अफसरशाही से लगाव पुराने दिग्गजों को कर रहा परेशान, पैराशूट से उतारे जा रहे पूर्व अफसर
पुराने नेताओं का आरोप है कि अभी तक पैराशूट से उतरने वाले पूर्व अधिकारी तो कैडर को ही समझ नहीं सके हैं। यही वजह है कि सामंजस्य बिठाने में भी परेशानी आ रही है। पार्टी में शामिल होने वाले इन पूर्व अधिकारियों को लेकर काफी असंतोष है।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। राजनीति में अफसरशाही का प्रवेश एक ट्रेंड तो बनता जा रहा है, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) में इस ट्रेंड ने पुराने दिग्गजों को खासा परेशान कर डाला है। वजह यह है कि आप हाईकमान की तरफ से खुद भी पूर्व बाबुओं को पार्टी में शामिल कराने के लिए खासा उत्साह दिखाया जा रहा है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पहुंचकर पार्टी पूर्व पुलिस, सिविल एवं ज्यूडिशियल अधिकारियों को आप में शामिल कराने को खासी तवज्जो दे रही है। अटकलें तो यह भी लग रही है कि आप हाईकमान आगामी विधानसभा चुनाव में हाल ही में पार्टी में शामिल होने वाली पूर्व अफसरशाही को टिकट वितरण में भी खासी अहमियत प्रदान करेगी। हालांकि जमीनी स्तर से जुड़े आप के नेताओं का अनुभव के आधार पर तर्क यह है कि पूर्व अफसरशाही जमीनी स्तर पर घर घर नहीं पहुंच सकती है। ऐसे अफसरों को पैराशूट से विभिन्न हलकों में उतारा जा रहा है, जिससे समूचा ढांचा ही डिस्टर्ब हो रहा है। जो लोग बरसों पहले से आप का झंडा उठाकर पार्टी के प्रचार में लगे रहे हैं।
पार्टी के लिए अपना समय दे रहे हैं और चुनाव लड़ने के लिए अपना आधार भी तैयार कर चुके हैं। उनके लिए पैराशूट से उतरने वाले यह पूर्व अधिकारी खासी परेशानी खड़ी कर रहे हैं। आप नेताओं का कहना है कि अगर पार्टी हाईकमान की तरफ से वर्किंग को ही नजरअंदाज कर दिया जाएगा तो फिर इसका सीधा असर चुनाव पर पड़ना तय है। हाल ही में सेवानिवृत्त होकर पार्टी में शामिल होने वाले अफसरों को तो संबंधित हलके के मसले समस्याएं और उनके हल के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ अफसर अपने आप को उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे हैं, जिस वजह से असंतोष फैल कर रहा है।
पुराने नेताओं का आरोप यह भी है कि अभी तक पैराशूट से उतरने वाले पूर्व अधिकारी तो कैडर को ही समझ नहीं सके हैं। यही वजह है कि सामंजस्य बिठाने में भी परेशानी आ रही है। जाहिर सी बात है कि पार्टी में शामिल होने वाले इन पूर्व अधिकारियों को लेकर इतना असंतोष है तो इसका असर चुनावी तैयारी पर पड़ना भी तय है। अगर चुनावी तैयारी ही ठीक नहीं होगी तो फिर नतीजे पर भी सवालिया निशान लगा रहेगा। पार्टी के भीतर फिलहाल कोई हाईकमान की तरफ से जारी इस कवायद का खुलकर विरोध तो नहीं कर रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर इसे लेकर असंतोष जरूर फैल रहा है।
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