Guru Nanak Jayanti 2019: क्यों, कब और कैसे मनाते हैं गुरु नानक जयंती, जानें पर्व से जुड़ी खास बातें

Guru Nanak Jayanti 2019 सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव जी की जयंती इस वर्ष विश्वभर में धूमधाम से मनाई जा रही है। इस बार श्री गुरुनानक देव जी की 550वां प्रकाश पर्व है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 11 Nov 2019 02:06 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 09:38 AM (IST)
Guru Nanak Jayanti 2019: क्यों, कब और कैसे मनाते हैं गुरु नानक जयंती, जानें पर्व से जुड़ी खास बातें
Guru Nanak Jayanti 2019: क्यों, कब और कैसे मनाते हैं गुरु नानक जयंती, जानें पर्व से जुड़ी खास बातें

जेएनएन, जालंधर। Guru Nanak Jayanti 2019:  श्री गुरु नानक देव जी ने दुनिया को 'नाम जपो, किरत करो, वंड छको' का संदेश देकर समाज में भाईचारक सांझ को मजबूत किया और एक नए युग की शुरुआत की। सामाजिक कुरीतियों का विरोध करके उन्होंने समाज को नई सोच और दिशा दी। गुरु जी ने ही समाज में व्याप्त ऊंच-नीच की बुराई को खत्म करने और भाईचारक सांंझ के प्रतीक के रूप में सबसे पहले लंगर की शुरुआत की।

उनका जन्म 1469 में श्री ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में हुआ। हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा का दिन देश विदेश में उनके प्रकाश पर्व के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गुरमति समागम आयोजित कर गुरु जी की बाणी और उनकी शिक्षाओं से संगत को निहाल किया जाता है। गुरु नानक नाम लेवा संगत उन्हें बाबा नानक और नानकशाह फकीर भी कहती है।

गुरु नानक देव जी ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। उन्होंने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर लोगों को पाखंडवाद से दूर रहने की शिक्षा दी। गुरु जी के जन्मदिवस को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। श्री ननकाणा साहिब में प्रसिद्ध गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब भी है। इसका निर्णाण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था।

देश विदेश में गुरुदारों की भव्य सजावट

प्रकाशपर्व के दिन जहां गुरुद्वारों में भव्य सजावट की जाती है, अखंड पाठ साहिब के भोग डालेे जाते हैं और लंगर बरताए जाते हैं। प्रकाश पर्व से पहले प्रभातफेरियों निकालकर गुरु जी के आगमन पर्व की तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। संगत सतनाम श्री वाहेगुरु और बाणी का जाप करते हुए चलती है। शहरों में भव्य नगर कीर्तन निकाले जाते हैं। सभी जत्थों का जगह-जगह पर भव्य स्वागत किया जाता है। धार्मिक दीवान सजाए जाते हैं और शबद कीर्तन किया जाता है। गुरुद्वारों में दिन रात धार्मिक कार्यक्रम जारी रहते हैं।

इस बार विशेष इसलिए..

इस बार यह पर्व 12 नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा) को मनाया जा रहा है। यह श्री गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाशपर्व है। भारत पाकिस्तान बंटवारे के 72 वर्ष बाद पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब को भारत की संगत के लिए खोल दिया गया है। गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब वह स्थान है जहां गुरु नानक जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे। वर्ष 1539 में वह ज्योति जोत समा गए थे।

श्री गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े अहम पहलू

1. गुरू नानक देव जी के पिता का नाम मेहता कालू था, वहीं माता का नाम तृप्ता देवी, था। गुरु नानक देव जी की बहन नानकी थीं।

2. नानक देव जी बचपन से ही धीर-गंभीर स्वभाव के थे। उन्होंने बाल्यकाल से ही रूढ़िवादी सोच का विरोध किया।

3. एक बार उनके पिता जी ने उनको 20 रुपये देकर बाजार भेजा और बोले कि सच्चा सौदा लेकर आना। उन्होंने उन रुपयों से भूखे साधुओं को भोजन करा दिया। लौटकर उन्होंने पिता जी से कहा कि वे खरा सौदा कर आए हैं।

4. गुरु नानक देव जी की पत्नी का नाम सुल्लखणी था, वह बटाला की रहने वाली थीं। उनके दो बेटे थे, एक बेटे का नाम श्रीचंद और दूसरे बेटे का नाम लख्मीदास था।

5. नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी, वे सिखों के प्रथम गुरू हैं। वे अंधविश्वास और आडंबरों के सख्त विरोधी थे।

6. नानक देव जी एक दार्शनिक, समाज सुधारक, कवि, गृहस्थ, योगी और देशभक्त थे।

7. नानक जी जात-पात के खिलाफ थे। उन्होंने समाज से इस बुराई को खत्म करने के लिए लंगर की शुरुआत की। इसमें अमीर-गरीब, छोटे-बड़े और सभी जाति के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।

8. नानक देव जी ने 'निर्गुण उपासना' का प्रचार प्रसार किया। वे मूर्ति पूजा के खिलाफ थे। उनका कहना था कि ईश्वर एक है, वह सर्वशक्तिमान है, वही सत्य है।

9. नानक देव जी ने समाज को जागरूक करने के लिए चार उदासियां (यात्राएं) कींं। उन्होंने हरिद्वार, अयोध्या, प्रयाग, काशी, गया, पटना, असम, बीकानेर, पुष्कर तीर्थ, दिल्ली, पानीपत, कुरुक्षेत्र, जगन्नाथपुरी, रामेश्वर, सोमनाथ, द्वारका, नर्मदातट, मुल्तान, लाहौर आदि स्थानों का भ्रमण किया।

गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं..

1. ईश्वर एक है, सदैव उस ईश्वर की उपासना करो।

2. ईश्वर हर जगह व्याप्त हैं, वह सभी प्राणियों में हैं। उन पर विश्वास रखना चाहिए।

3. ईश्वर की आराधना करने वाले व्यक्ति को कभी भी किसी से डरना नहीं चाहिए।

4. आप ईमानदारी से मेहनत करें और अपना भरण-पोषण करें।

5. किसी भी व्यक्ति को बुरा कार्य नहीं करना चाहिए और न ही इसके बारे में कभी सोचना चाहिए।

6. अपने किए गए गलतियों के लिए ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए। साथ ही व्यक्ति को सदैव प्रसन्न रहना चाहिए।

7. इस संसार में सभी स्त्री और पुरुष एक समान हैं, उनमें कोई भी कम या ज्यादा नहीं है।

8. आपने अपने जीवन में मेहनत और ईमानदारी से जो कुछ भी अर्जित किया है, उसमें से कुछ हिस्सा गरीबों को दान कर देना चाहिए। उनकी मदद करनी चाहिए।

9. नानक देव जी ने कहा है कि किसी भी इंसान को लोभ, अहंकार और ईर्ष्या नहीं करना चाहिए।

10. केवल स्वयं के विषय में सोचकर वस्तुओं और धन का संचय करना बुरी बात है।

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