शिवरात्रि पर चार पहर की पूजा से होंगे अनंत लाभ: स्वामी महेश

शवरात्रि पर रात्रि की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। इससे भी ज्यादा जरूरी होती है चार पहर की पूजा। यह संध्या से शुरू करके ब्रह्ममुहूर्त तक की जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 10 Mar 2021 05:56 PM (IST) Updated:Thu, 11 Mar 2021 06:16 AM (IST)
शिवरात्रि पर चार पहर की पूजा से होंगे अनंत लाभ: स्वामी महेश
शिवरात्रि पर चार पहर की पूजा से होंगे अनंत लाभ: स्वामी महेश

संवाद सहयोगी, दातारपुर : शिवरात्रि पर रात्रि की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। इससे भी ज्यादा जरूरी होती है चार पहर की पूजा। यह संध्या से शुरू करके ब्रह्ममुहूर्त तक की जाती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव मंदिर फतेहपुर में धर्म चर्चा करते हुए तपोमूर्ति स्वामी महेश पूरी ने कहा, पहले पहर की पूजा आम तौर पर संध्या को की जाती है। यह लगभग प्रदोष काल में सायं छह से नौ बजे तक होता है। इसमें शिव जी को दूध अर्पित करते हैं, साथ ही जल की धारा से उनका अभिषेक किया जाता है। पूजा में शिव मंत्र का जप कर सकते हैं। इस पूजा से शिव कृपा अवश्य होती है। दूसरे पहर की पूजा रात्रि में शुरू होती है जो लगभग 9 से 12 के बीच होती है। इसमें शिव जी को दही अर्पित होता है, साथ ही जल धारा से अभिषेक किया जाता है। पूजा में शिव मंत्र का अवश्य जप करें। इस पूजा से धन और समृद्धि मिलती है।

तीसरे पहर की पूजा

यह पूजा मध्य रात्रि लगभग रात्रि 12 बजे से तीन बजे के बीच की जाती है। इस पूजा में शिव जी को घी अर्पित करना चाहिए। इसके बाद जल धारा से उनका अभिषेक करना चाहिए। शिव स्तुति करना विशेष फलदायी होता है। शिव जी का ध्यान भी इस पहर में लाभकारी होता है। इस पूजा से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

चौथे पहर की पूजा

यह पूजा लगभग देर रात तीन बजे से प्रात: छह बजे के बीच की जाती है। इस पूजा में शिव जी को शहद अर्पित करना चाहिए। इसके बाद जल धारा से उनका अभिषेक होना चाहिए। शिव मंत्र का जप और स्तुति दोनों फलदायी होती है। इस पूजा से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी हो जाता है।

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