समाज के लिए करना चाहती थी कुछ काम, इसके लिए लाखों का पैकेज छोड़ा

नीरज शर्मा होशियारपुर काम ऐसा करो जिससे जन कल्याण जरूर हो। शायद इसीलिए उस दिन काउ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 10:45 PM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 10:45 PM (IST)
समाज के लिए करना चाहती थी कुछ काम, इसके लिए लाखों का पैकेज छोड़ा
समाज के लिए करना चाहती थी कुछ काम, इसके लिए लाखों का पैकेज छोड़ा

नीरज शर्मा, होशियारपुर :

काम ऐसा करो जिससे जन कल्याण जरूर हो। शायद इसीलिए उस दिन काउंसलिग के दौरान मेरे सवाल के जवाब ने मुझे आइएएस बनने की प्रेरणा दी। पिता जी भी वकील हैं और मैंने भी वकालत की पढ़ाई की है। पर इस पद पर काम करने का अलग ही मजा है आप ड्यूटी भी दे रहे हैं और समाज के लिए काम भी कर रहे हैं। यानी क‌र्त्वय पालन के साथ-साथ जन कल्याण भी हो रहा है। यह कहना है नगर निगम कमिश्नर आइएएस आशिका जैन का। अंबाला कैंट में पली बड़ी आशिका जैन बताती हैं कि उन्होंने शुरू से लोगों की भलाई के लिए काम करने का शौक था। कभी आइएएस बनने का सोचा नहीं था परंतु पिता व माता जी हमेशा कहते थे आइएएस बनना है। पर पढ़ाई पूरी करने तक कभी उस तरफ ध्यान ही नहीं गया। पिताजी वकील थे इसलिए वकालत में शौक था वकालत की। इस दौरान एक काउंसिलिंग ने मुझे मेरे मकसद तक अग्रसर कर दिया। मुझे आज भी याद है, उस काउंसलिग में 18 लाख का पैकेज मिला था पर मेरा कंपनी से सवाल था कि मेरी नौकरी से आम सोसायटी का कोई फायदा होगा?

इस पर उनका जवाब था न और इस दौरान पैनल के एक मेंबर ने कह दिया कि यह नौकरी आपके लिए सुटेबल नहीं है, जिसके बाद मैंने आइएएस बनने का मन बनाया। दैनिक जागरण के साथ कमिश्नर आशिका जैन ने बातचीत की जिसके अंश इस प्रकार हैं :- सवाल : आइएएस न होतीं तो क्या होतीं ?

जवाब : आइएएस न होती तो मैं वकील होती, चूंकि वकालत में भी मुझे काफी शौक था और सही मायनों में वकालत से भी हम जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं। किसी की मदद करना भी पुण्य का काम है। सवाल : इस पद तक पहुंचने के लिए किसको देती हैं श्रेय ?

जवाब : मैं आज जो कुछ भी हूं उसके लिए माता-पिता को श्रेय देना चाहती हूं। चूंकि मैं अपने माता-पिता की इकतौली संतान हूं। देखने में आता है कि लड़कियों को परिवार में अधिक बबज्जो नहीं मिलती, पर मेरे माता-पिता ने मेरा हर शौक पूरा किया। मेरे हर फैसले में मेरा साथ दिया। उनकी दी गई हिम्मत, सही प्रेरणा, आशीर्वाद से ही आज मैं इस पद पर आसीन हूं। सवाल : निगम कर्मचारियों को क्या संदेश देना चाहती हैं ?

जवाब : बहुत कम लोग होते हैं जिन्हें इस तरह अपने शहर में शहर की समस्याओं को दूर करने का काम मिलता है। समस्या को लेकर सब आवाज उठाते हैं पर समस्या के हल के लिए कोई एक ही आगे आता है। इसलिए निगम के कर्मचारियों को चाहिए की वह अपने शहर की भलाई के लिए पूरी ईमानदारी से काम करें ताकि शहर वासियों जिसमें उनके परिवार भी शामिल है को राहत मिल सके।

सवाल : काम के अवाला शोक क्या है ?

जवाब : खेलों में स्विमिग का शोक बहुत अधिक है। अच्छा साहित्य पढ़ना, खास तौर पर अध्यात्मिक किताबें पढ़ने का शौक है। इसके अवाला मेडिटेशन करने की कोशिश करती हूं। हलका फुलका म्यूजिक भी पसंद है। सवाल : शहर वासियों के लिए बतौर निगम कमिश्नर अपील ?

जवाब : शहर वासियों से बस यही अपील है कि वह अपने चारो तरफ सफाई रखें। निगम आपके लिए दिन रात एक कर रही है इसलिए आप भी निगम का सहयोग करें। सार्वजनिक संपत्ति जो हम सबकी सुविधा के लिए मौजूद है, उसका खास ख्याल रखें। अपने शहर को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए पूरी ईमानदारी से सहयोग करें, ताकि होशियारपुर देश के चुनिदा शहरों में शामिल हो सके। सवाल : युवाओं के लिए को क्या मैसेज देना चाहती हैं ?

जवाब : युवाओं को देशहित के लिए जन कल्याण के लिए अधिक से अधिक श्रम करना चाहिए। युवा किसी देश का आधार होते हैं। युवाओं को चाहिए कि वह मेहनत करें खूब पढ़ाई करें, खेलों में बढ़चढ़ कर भाग लें ताकि हमारा समाज हमारा देश उन्नति की राह पर तेजी से अग्रसर हो। चूंकि जिस समाज का युवा अपने कर्तव्यों को प्रति जागरुक है वह हमेशा तरक्की करता है।

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