पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा गांव पंडोरी गंगा सिंह

जेएनएन होशियारपुर मिशन तंदुरुस्त पंजाब के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र की निगरानी में जिले के गांव पंडोरी गंगा सिंह के जागरूक किसान कई वर्षों से आधुनिक खेती को अपनाते हुए पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 04:04 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 04:04 PM (IST)
पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा गांव पंडोरी गंगा सिंह
पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा गांव पंडोरी गंगा सिंह

जेएनएन, होशियारपुर

मिशन तंदुरुस्त पंजाब के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र की निगरानी में जिले के गांव पंडोरी गंगा सिंह के जागरूक किसान कई वर्षों से आधुनिक खेती को अपनाते हुए पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं। गांव के किसानों ने वर्ष 2018-19 व 2019-20 के दौरान धान की कटाई सुपर एसएमएस कंबाइन से करने के बाद हैप्पी सीडर तकनीकी विधि को अपनाकर करीब 200 एकड़ पर सफलतापूर्वक गेहूं की बिजाई की थी।

गांव के किसानों की प्रशंसा करते हुए डीसी ने कहा कि मिशन तंदुरुस्त पंजाब के अंतर्गत फैलाई जागरूकता के कारण गांव पंडोरी गंगा सिंह के किसानों ने पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी बेहतरीन काम किया है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। जिले के अन्य स्थानों में भी किसान जागरूक होकर धान की पराली को बिना आग लगाए गेहूं की सीधी बिजाई कर रहे हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र(केवीके) होशियारपुर के डिप्टी डायरेक्टर(ट्रेनिग) डा. मनिदर सिंह बौंस ने बताया कि केवीके की ओर से गांव पंडोरी गंगा सिंह को वर्ष 2018-19 के दौरान धान की पराली प्रबंधन के कार्य के लिए अपनाया गया था। इस बाबत प्रशिक्षण कोर्स, जागरूकता अभियानों, प्रदर्शनियों, खेत दिवस, खेती साहित्य, दीवारों पर पेंटिग आदि के माध्यम से अलग-अलग गतिविधियां करवाई गई थी व जरूरी मशीनरी भी उपलब्ध करवाई गई। इसके परिणाम स्वरूप गांव के प्रगतिशील किसानों सरपंच मनजिदर सिंह, संदीप सिंह, मनजिदर सिंह भंगू, गुरप्रीत सिंह, हरजिदर सिंह, गुरदीप सिंह, कुलवंत सिंह, जगदीप सिंह आदि ने धान की पराली को खेत में ही संभाल कर गेहूं की सफलतापूर्वक बिजाई की थी।

कृषि विभाग ने भी गांव पंडोरी सिंह के दो किसानों मनजिदर सिंह व मनजिदर सिंह भंगू को हैप्पी सीडर संबंधी सब्सिडी मुहैया करवाई थी। इन प्रगतिशील किसानों की ओर से अपने खेतों के अलावा नजदीकी गांव में भी किराए पर बिजाई की गई थी। पराली की गांठें बनाने वाली मशीन, बेलर के साथ ही करीब 150 एकड़ रकबे पर पराली को संभाला जाता है। इन पराली की गांठों की खपत नजदीकी गांव बिजों में हो जाती है। गुज्जर भाइचारे की ओर से भी पराली पशु खुराक के तौर पर उठाई जाती है।

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