झांसी की रानी को बलिदान दिवस पर नमन किया

वीरांगना नाम सुनते ही मस्तिष्क में महारानी लक्ष्मीबाई की छवि उभरने लगती है। भारतीय वसुंधरा को अपने वीरोचित भाव से गौरवांवित करने वाली झांसी की रानी की पुण्यतिथि पर वसिष्ठ भारती इंटरनेशनल स्कूल में शुक्रवार को समारोह का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 04:37 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 05:29 AM (IST)
झांसी की रानी को बलिदान दिवस पर नमन किया
झांसी की रानी को बलिदान दिवस पर नमन किया

संवाद सहयोगी, दातारपुर : वीरांगना नाम सुनते ही मस्तिष्क में महारानी लक्ष्मीबाई की छवि उभरने लगती है। भारतीय वसुंधरा को अपने वीरोचित भाव से गौरवांवित करने वाली झांसी की रानी की पुण्यतिथि पर वसिष्ठ भारती इंटरनेशनल स्कूल में शुक्रवार को समारोह का आयोजन किया गया। इसमें प्रिसिपल दिनकर पराशर ने कहा, लक्ष्मीबाई सच्चे अर्थों में वीरांगना ही थीं। वे भारतीय महिलाओं के समक्ष अपने जीवन काल में ही ऐसा आदर्श स्थापित करके विदा हुईं, जिससे हर कोई प्रेरणा ले सकता है। वह वर्तमान में महिला सशक्तिकरण की जीवंत मिसाल भी है। कहा जाता है कि सच्चे वीर को कोई भी प्रलोभन अपने कर्तव्य से विमुख नहीं कर सकता। ऐसा ही रानी लक्ष्मीबाई का जीवन था। उन्हें अपने राज्य और राष्ट्र से एकात्म स्थापित करने वाला प्यार था। वीरांगना के मन में हमेशा यह बात कचोटती रही कि देश के दुश्मन अंग्रेजों को सबक सिखाया जाए। इसी कारण उन्होंने यह घोषणा की कि मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी। इतिहास बताता है कि इस घोषणा के बाद रानी ने अंग्रेजों से युद्ध किया। वीरांगना लक्ष्मीबाई के मन में अंग्रेजों के खिलाफ किस कदर घृणा थी कि जब रानी का अंतिम समय आया, तब ग्वालियर की भूमि पर स्थित गंगादास की बड़ी शाला में रानी ने संतों से कहा कि कुछ ऐसा करो कि मेरा शरीर अंग्रेज न छू पाएं। इसके बाद रानी स्वर्ग सिधार गईं और बड़ी शाला में स्थित एक झोंपड़ी को चिता का रूप देकर रानी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान महारानी लक्ष्मीबाई को शत शत नमन करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर कवीश शर्मा, अनु शर्मा, सुनयना, दीपशिखा रेणु, श्वेता, मधु, मंजू, संतोष, अनू, वरुण, सुरेश, सरबजीत उपस्थित थे।

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