उद्योग मंत्री की मिलीभगत से आनंद लिमिटेड नीलामी में हुआ घपला : सूद

जेसीटी इलेक्ट्रानिक प्लाट नीलामी में घपलेबाजी के मुद्दे को अब पंजाब एडवोकेट जनरल की रिपोर्ट में प्रमाणित कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 08:30 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 07:14 AM (IST)
उद्योग मंत्री की मिलीभगत से आनंद लिमिटेड नीलामी में हुआ घपला : सूद
उद्योग मंत्री की मिलीभगत से आनंद लिमिटेड नीलामी में हुआ घपला : सूद

जागरण टीम, होशियारपुर : जेसीटी इलेक्ट्रानिक प्लाट नीलामी में घपलेबाजी के मुद्दे को अब पंजाब एडवोकेट जनरल की रिपोर्ट में प्रमाणित कर दिया है। इसके चलते पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद ने पत्रकारवार्ता में एक और मामले को उठाया। उन्होंने बताया कि उद्योग विभाग के पीएसआइडीसी ने फेज नौ मोहाली स्थित 27 एकड़ भूमि फिलिप्स बल्व (पंजाब आनंद लिमिटेड) को अलाट की थी जिसमें 500 करोड़ का घपला हुआ है। सूद ने बताया कि यह उद्योग मंत्री की मिलीभगत का नतीजा है। पंजाब आनंद कंपनी न चलने के कारण वापस सरकार के पास आ गई थी। इसे 120 करोड़ में नीलामी के जरिए गुलमोहर टाउनशिप लिमिटेड ने खरीद लिया और बाद में दो-दो एकड़ के 12 प्लाट बनाकर बेचने की मंजूरी भी अवैध तरीके से उसी दिन हासिल कर ली। जबकि नीलाम की शर्तों के अनुसार 27 एकड़ पर तीन साल तक उद्योग स्थापित करने थे। बड़ी साजिश के तहत 49 प्लाट प्रति हजार गज व 76 प्लाट प्रति 500 गज के बनाकर गुलमोहर टाउनशिप लिमिटेड ने बेचने शुरू कर दिए। जबकि उद्योग विभाग की वेरिफिकेशन नीति के अनुसार केवल चार शर्तो में ही प्लाटों को बांटकर बेचा जा सकता है। इस केस में एक भी शर्त लागू नहीं होती। ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री की मंजूरी भी होती है जोकि नहीं ली गई।

सीबीआइ व ईडी से जांच करवाने की मांग

सूद ने मांग की कि इन दोनों घोटालों में संलिप्त उद्योग मंत्री को पंजाब के मुख्यमंत्री बर्खास्त करके सीबीआइ व ईडी से जांच करवा कर जनता के पैसे को प्राइवेट लोगों की जेबों में जाने से रोकें और दोषियों को उपयुक्त सजा दिलवाई जाए। प्रेस कांफ्रेंस में जिलाध्यक्ष निपुण शर्मा, जिला महामंत्री विनोद परमार, विजय पठानिया, जिला उपाध्यक्ष सुरेश भाटिया, राकेश सूद, जीवेद सूद, यशपाल शर्मा, अश्वनी गैंद, पुनीत शर्मा उपस्थित थे।

छह महीने की प्रक्रिया सिर्फ 10 दिन में हो गई पूरी

सूद ने आरोप लगाया कि प्रस्तावित पत्र तीन मार्च को दिया गया और उद्योग मंत्री से दो दिन के बाद मंजूरी मिल गई। 19 मार्च को पीएसआईईसी के बोर्ड आफ डायरेक्टर को मंजूरी के लिए पत्र भेज दिया गया। यानी कि मिलीभगत से 10 दिन में पूरी प्रक्रिया को निपटा दिया गया जबकि अन्य केसों में ऐसी प्रक्रिया में छह महीने लग जाते हैं।सबसे बड़ी बात इस मामले में वित्त विभाग, एडवोकेट जनरल की भी मंजूरी नहीं ली गई।

जनता के नकारे हुए बौखलाहट में लगा रहे आरोप : मंत्री अरोड़ा

इस संबंधी पूछे जाने पर कैबिनेट मंत्री अरोड़ा ने कहा कि जिन्हें जनता ने तंग आकर नकार दिया है आज वह घपलों की बात करते हैं। यह झूठे लोग हैं। निगम के चुनाव की हार यह अभी तक बर्दाश्त नहीं कर पाए। 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाला है, ये लोग जो भी झूठ का पुलिंदा बना लें जनता इनका जवाब जरूर देगी।

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