कांग्रेस पार्टी की कथनी-करनी में बड़ा अंतर : किसान नेता
एक तरफ कांग्रेस पार्टी पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने किसान आंदोलन का साथ देने का दावा किया है वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार के आदेशों का पालन करते हुए प्रदेश कांग्रेस सरकार आगामी ़खरीद सी•ान के लिए जमीन की जमाबंदी को किसानों के डेटाबेस से जोड़ने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई कर रही है।
संवाद सहयोगी, मुकेरियां: एक तरफ कांग्रेस पार्टी पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने किसान आंदोलन का साथ देने का दावा किया है वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार के आदेशों का पालन करते हुए प्रदेश कांग्रेस सरकार आगामी ़खरीद सी•ान के लिए जमीन की जमाबंदी को किसानों के डेटाबेस से जोड़ने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई कर रही है। जिससे स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है।
ये विचार किसान नेता विजय कुमार गुलेरिया, अवतार सिंह बाबी, अमरजीत सिंह कानूगो, मास्टर स्वर्ण सिंह, रोशन सिंह लाडपुर आदि ने टोल प्लाजा हरसा मानसर पर किसान संगठनों के चल रहे रोष धरने के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि किसान लंबे समय से मंडियों में अपनी उपज बेच रहे हैं और यह पहली बार है कि जमीन की जमाबंदी को उपज की बिक्री और खरीद से जोड़ा जा रहा है। जिसके पीछे केंद्र सरकार की बड़ी किसान विरोधी साजिश की झलक दिख रही है और राज्य की कांग्रेस सरकार भी केंद्र के हाथ की कठपुतली बनी हुई हर किसान विरोधी फ़ैसले को लागू कर रही है। उन्होंने रोष व्यक्त किया कि राजनीतिक दल किसान आंदोलन को वोट बैंक के तौर पर कैश करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं जबकि राजनीतिक दलों की सोच कुर्सी की दौड़ से ऊपर नहीं उठ पा रही है। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां कुछ नेता किसान संगठनों की कमान संभालकर किसान हितैषी होने का दिखावा कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दल से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के टिकट का रास्ता साफ करने में लगे हुए हैं। किसान नेताओं ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से अपील की कि प्रदेश में जमीन की फरदों को खरीद पोर्टल से जोड़ने की प्रक्रिया को तत्काल बंद कर किसानों को राहत प्रदान की जाए। इस मौके पर जनक सिंह, रविदर सिंह गोली, सुरिदर सिंह कोटली, जगदीश सिंह, बलकार सिंह मल्ही, उंकार सिंह, कुलदीप सिंह रंगा, तरसेम सिंह, बलविदर सिंह, कमलजीत सिंह, डा.राजू चनौर समेत बड़ी संख्या में किसानों, मजदूरों और युवाओं ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।