टांडा में बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में जमानत पर फैसला पहली दिसंबर को होगा

टांडा में मासूम बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले की वीरवार को सुनवाई के बाद अदालत ने शुक्रवार को एक बार फिर सुनवाई के बाद जमानत का फैसला एक दिसंबर को रख दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 10:37 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 11:06 PM (IST)
टांडा में बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में जमानत पर फैसला पहली दिसंबर को होगा
टांडा में बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में जमानत पर फैसला पहली दिसंबर को होगा

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : टांडा में मासूम बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले की वीरवार को सुनवाई के बाद अदालत ने शुक्रवार को एक बार फिर सुनवाई के बाद जमानत का फैसला एक दिसंबर को रख दिया है। एक दिसंबर को जमानत याचिका पर अदालत अपना फैसला दे सकती है। इससे पहले अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश ग्रेड-1 नीलम अरोड़ा की अदालत ने जमानत पर दोनों पक्षों के वकीलों की इस मामले में एक बार फिर जोरदार बहस हुई। इसके बाद माननीय अदालत ने जमानत पर फैसला एक दिसबंर को रखा है। वहीं इस मामले की अगली तारीख सात दिसबंर डाली दी गई है। जमानत याचिका पर दोनों पक्षों के वकील दे चुके हैं दलीलें

इसके पहले वीरवार को हुई बहस के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने बहस के दौरान अपनी-अपनी दलीलें दी थीं। जिसमें आरोपित पक्ष के वकील एपीएस मठोन ने अदालत से अपील की थी कि बुजुर्ग सुरजीत सिंह का क्राइम में कोई हाथ नहीं है। वह सिर्फ शव को जलाने में शामिल था। उसकी कोई गुनाह करने की मंशा नहीं थी। जबकि इसके अलावा सुरप्रीत के बारे में अदालत को जानकारी दी थी कि वह दिमागी तौर पर परेशान रहता है। उसका इसी के चलते दो साल से मेंटल अस्पताल में उपचार चल रहा है। पुलिस भी इस मामले में जांच पूरी कर चुकी है जिस कारण एडवोकेट मठोन ने जमानत की मांग की थी। परंतु वहीं पीड़ित पक्ष के वकील नवीन जैरथ ने अपनी दलील देते हुए बताया था कि सुरजीत सिंह सब कुछ जानते हुए भी इस वारदात में बराबर का हिस्सेदार बना और उसने बच्ची के शव को जलाने में अपने पोते सुरप्रीत की मदद की ताकि सबूत मिटाए जा सकें। जिस कारण वह भी इस अपराध में बराबर का भागीदार है। उसका यह भी अपराध है कि उसने किए गए अपराध को छुपाने के लिए साथ दिया है। वहीं सुरप्रीत की बीमारी की दलील पर उन्होंने इस तर्क को पहले क्यों नहीं बताया गया यह तर्क दिया। उन्होंने साफ कहा कि अपराधियों को जमानत नहीं मिलनी चाहिए चूंकि यह इसके बात पीड़ित परिवार जोकि पहले ही डरा हुआ है उसे डरा धमका सकते हैं। जिस पर अदालत ने वीरवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत की अगली तारीख शुक्रवार डाली और शुक्रवार को एक बार फिर सुनवाई करके उन्होंने जमानत पर फैसला एक दिसबंर को रखा है। वहीं उन्होंने इस मामले की अगली तारीख 7 दिसंबर डाली है। इस मामले के आरोपितों में सुरजीत सिंह केंद्रीय जेल गुरदासपुर में बंद है। जबकि सुरप्रीत का अस्पताल में दाखिल है।

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