पराली की आग पर रोकथाम के लिए विभाग सख्त, आग लगाई तो होगी कार्रवाई

धान की फसल खेतों में तैयार है और यदि मौसम कुछ दिनों में साफ हो गया तो कटाई भी शुरु हो जाएगी। पर धान की कटाई के साथ-साथ प्रशासन को एक चीज जो परेशान करती है पराली की आग।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 10:28 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 10:28 PM (IST)
पराली की आग पर रोकथाम के लिए विभाग सख्त, आग लगाई तो होगी कार्रवाई
पराली की आग पर रोकथाम के लिए विभाग सख्त, आग लगाई तो होगी कार्रवाई

जागरण संवाददाता, होशियारपुर: धान की फसल खेतों में तैयार है और यदि मौसम कुछ दिनों में साफ हो गया तो कटाई भी शुरु हो जाएगी। पर धान की कटाई के साथ-साथ प्रशासन को एक चीज जो परेशान करती है पराली की आग। पराली को आग लगाने का चलन पूरे पर्यावरण के लिए घातक है और खास तौर पर जो सांस की बीमारी से परेशान है उनके लिए यह पराली का धुंआ बहुत ही हानिकारक है। इसको लेकर चाहे प्रशासन हर साल प्लानिग करता है लेकिन फिर भी कहीं न कहीं कमी रह जाती है और पराली को आग लगाने के मामले सामने आते रहते हैं। परंतु इस बार प्रशासन व कृषि विभाग इसको लेकर काफी सख्त है और एक फीसदी भी कमी छोड़ने के मूड़ में नहीं है। इसी के चलते अभी से कृषि विभाग ने प्लानिग शुरु कर दी है। वहीं इस दौरान पंचायतों को व किसानों को जागरुक करने के लिए विशेष मुहिम शुरु करने की तैयारी की जा रही है ताकि किसान पराली को आग न लगाएं। उपजाऊ शक्ति के लिए भी नुकसान दायक है पराली को आग

कृषि अधिकारी विनय शर्मा ने बताया कि किसान धान की फसल काट कर खेतों में बची पराली को आग लगाकर अपना काम निपटाने की जल्दबाजी करते हैं। परंतु यह जल्दबाजी वातावरण के लिए घातक है और खास तौर पर मित्र कीड़े व जमीन की उपजाऊ शक्ति के लिए भी नुकसान दायक हैं। चूंकि इसके जमीन काफी हद तक अपनी नमी भी खो बैठती है और फसलों के लिए सहायक मित्र कीड़े भी मर जाते हैं जो सीधा सीधा नुकसान है। जागरुकता के लिए इस बार चलाई जा रही विशेष मुहिम

जानकारी अनुसार कृषि विभाग द्वारा किसानों को पराली को आग न लगाने के लिए जागरुक करने संबंधी इस बार युद्धस्तर पर मुहिम चलाई जा रही है। ताकि किसान पराली से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को समझे और पराली को आग न लगें। इसके अवाला गांवों में अलग अलग स्थानों में खास तौर पर उन इलाकों में जहां अकसर लोग बैठते हैं पराली को आग न लगाने संबंधी सलोग्न लिखवाए जा रहे हैं। ताकि लोगों को याद रह सके और पंचायतें भी अपनी इस फर्ज को समझ सकें। हाट स्पाट पर इस बार खास नजर होगी

कृषि विभाग ने पराली को आग लगाने के मामलों को शून्य करने के लिए इस बार अलग-अलग टीमों का गठन किया है। ताकि यह टीमें गांवों में पूरी नजर रख सकें और बनती कार्रवाई हो सकी। वहीं पिछले सालों में सबसे अधिक इलाकों में टांडा व गढ़शंकर का नाम आता है जहां सबसे अधिक आग लगाने के मामले सामने आए थे और इन इलाकों में इस बार खास तौर पर नजर रखी जाएगी। इसके अवाला जिला के सभी गांवों को इलाका के हिसाब से बांटा गया है ताकि सब पर नजर रखी जा सके।

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