जिले के आखिरी गांव में 27 साल से नहीं पहुंची रोडवेज की बस

देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं लेकिन अभी भी जिले में कई इलाके ऐसे है जहां मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई। अगर कुछ देर बाद भी मिली तो वह आज तक लागू नहीं हो पाई। जागरण संवाददाता होशियारपुर देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं लेकिन अभी भी जिले

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 05:12 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 05:59 AM (IST)
जिले के आखिरी गांव में 27 साल से नहीं पहुंची रोडवेज की बस
जिले के आखिरी गांव में 27 साल से नहीं पहुंची रोडवेज की बस

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं लेकिन अभी भी जिले में कई इलाके ऐसे है जहां मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई। अगर कुछ देर बाद भी मिली तो वह आज तक लागू नहीं हो पाई। कुछ इस प्रकार के हालात होशियारपुर के कंडी के गांव पटियाल के हैं। हलका शाम चौरासी में पड़ता यह गांव होशियारपुर का आखिरी है और यहां से पांच किलोमीटर दूर हिमाचल शुरू हो जाता है। शहर से 35 किमी दूर इस गांव में अभी तक बस सेवा नहीं पहुंच पाई है। हालांकि सड़क की सुविधा है। बस न मिलने के कारण लोगों को कई-कई किलोमीटर पैदल आना पड़ता है या फिर उनके पास आने जाने के अपने ही साधन है। सबसे अधिक मुश्किल स्कूल जाने वाले बच्चों को होती है क्योंकि दसवीं के बाद 10 किलोमीटर दूर सीनियर सेकेंडरी स्कूल है और बच्चों को वहां तक जाने के लिए काफी परेशानी होती है।

1983 तक चलती थी रोडवेज की बस

पंचायत मेंबर कमलेश कुमारी ने बताया कि 1983 तक गांव तक रोडवेज की बस आती थी लेकिन बाद में यह बंद कर दी गई। इसके बाद बार-बार रोडवेज के अधिकारियों को पत्र लिखा गया पर आज तक बस सेवा बहाल नहीं हो पाई। हर बार अधिकारी कोई न कोई बहाना मार कर आश्वासन का लालीपाप थमाकर भेज देते हैं। जब भी शिकायत देते हैं और बस की मांग करते हैं तो आगे से जवाब मिलता है कि सर्वे जारी है उसके बाद रूट प्लान बनाकर बस शुरू कर दी जाएगी। इसके बावजूद अभी तक रूट प्लान नहीं बन पाया जिससे पटियाल बाहरी दुनिया से कटा हुआ है।

कोरोना ने प्राइवेट बसों की भी छीन ली सुविधा

कोरोना काल से पहले दो-तीन बार मिनी बसें गांव तक आती थी परंतु कोरोना के बाद बस सेवा भी लाकडाउन हो गई। कुछ बसों के मालिकों ने तो घाटा पड़ने के कारण ट्रांसपोर्ट के काम से ही तौबा कर दी, जो थोड़ी बहुत सुविधा थी वह भी दम तोड़ गई। अब लोगों को बाजार तक आने में काफी समस्या का सामना करना पड़ा है। अब स्कूल खुल चुके हैं और सबसे अधिक बुरी तरह बच्चे पिस रहे हैं क्योंकि दसवीं से ऊपर के छात्रों के लिए 10 किलोमीटर दूर स्कूल महंग्रोवाल है और मजबूरी में बच्चे सही समय पर कक्षाएं अटेंड नहीं कर पाते।

न परमिट है, न ही बसें, आप ही बताओ क्या करें : जीएम

इस संबंध में जब रोडवेज होशियारपुर डिपो के जीएम रणजीत सिंह के साथ बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस रूट का अब परमिट ही नहीं है। बिना परमिट के बस चल नहीं सकती। परमिट हो भी तो भी समस्या है, कारण बसें नहीं है, बताओ कैसे सुविधा देंगे। पटियाल के लोग समस्या लेकर आए थे लेकिन अभी उन्हें और इंतजार करना होगा।

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