माता-पिता की सेवा करने वाले को श्रवण कुमार कहते हैं : जिदा बाबा
दुर्गा माता मंदिर बड़ी दलवाली में माता-पिता दिवस पर आध्यात्मिक विभूति राजिदर सिंह जिदा बाबा ने अभिभावकों की सेवा का महत्व बताया।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : दुर्गा माता मंदिर बड़ी दलवाली में माता-पिता दिवस पर आध्यात्मिक विभूति राजिदर सिंह जिदा बाबा ने अभिभावकों की सेवा का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि श्रवण कुमार के माता-पिता अंधे थे। श्रवण कुमार अत्यंत श्रद्धापूर्वक उनकी सेवा करते थे। एक बार उनके माता-पिता की इच्छा तीर्थयात्रा करने की हुई। श्रवण कुमार ने कांवर बनाई और उसमें दोनों को बैठाकर कंधे पर उठाए हुए यात्रा पर निकल गए। एक दिन वे अयोध्या के समीप वन में पहुंचे, वहां रात्रि को माता-पिता को प्यास लगी। श्रवण कुमार पानी के लिए कलश लेकर सरयू तट पर गए। उसी समय महाराज दशरथ भी वहां आखेट के लिए आए हुए थे। श्रवण कुमार ने जब पानी में कलश डुबोया, तो दशरथ ने समझा कोई हिरण जल पी रहा है। उन्होंने शब्दभेदी बाण छोड़ दिया। बाण श्रवण कुमार को लगा। दशरथ को दुखी देख मरते हुए श्रवण कुमार ने कहा-मुझे अपनी मृत्यु का दुख नहीं, लेकिन माता-पिता के लिए बहुत दुख है। आप उन्हें जाकर मेरी मृत्यु का समाचार सुना दें और जल पिलाकर उनकी प्यास शांत करें। दशरथ ने देखा कि श्रवण दिव्य रूप धारण कर विमान में बैठ स्वर्ग को जा रहे हैं। पुत्र का अग्नि संस्कार कर माता-पिता ने भी उसी चिता में अग्नि समाधि ली और उत्तम लोक को प्राप्त हुए। कहा जाता है कि राजा दशरथ ने बूढ़े माता पिता से उनके बेटे को छीना था इसलिए राजा दशरथ को भी पुत्र वियोग सहना पड़ा। रामचंद्र जी के चौदह साल के लिए वनवास पर जाने का दुख राजा दशरथ सह नहीं पाए और उन्होंने प्राण त्याग दिए। आज भी माता-पिता की सेवा करने वाले को श्रवण कुमार कहते हैं, परंतु बड़े दुर्भाग्य की बात है कि श्रवण के इस देश में यहां के पुत्र अब माता-पिता को वृद्ध आश्रम में बेसहारा छोड़ रहे हैं। माता-पिता ने हमारे लालन-पालन में जितने कष्ट उठाए हैं उनका अहसान हम सैकड़ों जन्म में भी उतार नहीं सकते। इस दिन सभी संकल्प लें कि माता-पिता की सेवा व इज्जत करेंगे। इस अवसर पर गोला पंडित, राकेश, सरपंच दिलबाग सिंह, प्रितपाल सिंह, भोली देवी, अरुणा उपस्थित थे।