बरसात ने धोए सरकार के दावे, मिट्टी मिला 'सोना'

गेहूं की खरीद शुरू हो गई है। मंडियों में गेहूं की आमद धीरे-धीरे तेज हो रही है पर अभी तक पेमेंट का पोर्टल सही तरीके से नहीं चल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 10:41 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 10:41 PM (IST)
बरसात ने धोए सरकार के दावे, मिट्टी मिला 'सोना'
बरसात ने धोए सरकार के दावे, मिट्टी मिला 'सोना'

नीरज शर्मा, होशियारपुर :

गेहूं की खरीद शुरू हो गई है। मंडियों में गेहूं की आमद धीरे-धीरे तेज हो रही है, पर अभी तक पेमेंट का पोर्टल सही तरीके से नहीं चल रहा है। जिसके चलते किसान परेशान हो रहे हैं चूंकि पैमेंट के लिए अभी किसानों को इंतजार करना पड़ेगा। वहीं शनिवार दोपहर के बाद हुई बरसात ने किसानों की परेशानी ओर बढ़ा दी। इस बरसात से सीधे-सीधे फसल की आमद पर असर पड़ेगा। इसके साथ-साथ फसल की कटाई भी प्रभावित होगी। कुल मिलाकर किसान परेशान हो रहा है। बरसात ने मंडियों में सरकारी प्रबंध की पोल भी खोल कर रख दी है। फसल की लिफ्टिंग शुरू न होने के कारण वह खुले आसमान के नीचे पड़ी है और बरसात में वह पूरी तरह से भीग गई। जिसका मंडी प्रबंधन के पास कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है। किसानों के मार्ग दर्शन, खुद लापरवाह

मंडियों में किसान को गेहूं की फसल लाने के लिए कई तरह की गाइडलाइन जारी की गई है. जिसमें फसल साफ हो, नमी न हो लेकिन मंडियों में हो रही गेहूं की हो रही बदतर हालत पर प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हैं। गेहूं की लिफ्टिग में होने वाली देरी से कुल मिलकर फसल का नुकसान होगा। यदि समय से लिफ्टिग शुरु की जाती तो शायद जिस तरह शनिवार को गेहूं की फसल मंडी में इस तरह बरसात में न भीगती। अभी भी रुक-रुक कर चल रहा पोर्टल

सरकार ने गेहूं की खरीद से पहले दावा किया था कि इस बार किसानों को 24 घंटे में पेमेंट उनके खातों में मिलेगी। लेकिन अभी तक सरकार यह दावा हवा साबित हो रहा है। पेमेंट के लिए बनाया गया पोर्टल अभी भी सही तरीके से नहीं चल रहा और इसको इस्तेमाल करने वालों की माने तो इसमें अभी भी काफी कमियां है जो दूर करने की जरुरत है। वहीं पोर्टल भी रुक रुक कर चल रहा है, जिसके चलते एक एंट्री को डालने के लिए घंटों का समय लग रहा है कुल मिलाकर सरकार का यह दावा फेल साबित हो रहा है कि किसानों को 24 घंटे में पेमेंट मिल जाएगी। मंडी में नहीं है दावों के मुताबिक प्रबंध पूरे

मंडी में किसानों की सुविधा के लिए किए जाने वाले प्रबंध भी मुकम्मल नहीं है। यानी मूलभूत जरुरत पीने का पानी व शौचालय का प्रबंध भी मंडी में नहीं है। पानी की टंकियां जो लगी है ऐसे लगती है जैसे दशकों से उसमें पानी ही नहीं भरा गया हो और न आज तक उनकी सफाई हुई है। कोरोना के चल रहे इस काल में सफाई व्यवस्था तो वैसे ही सही होनी चाहिए।

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