आसान नहीं है गढ़शंकर नगर कमेटी पर किसी पार्टी का कब्जा

राज्य की 32 नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही बुधवार शाम चार बजे से कोड आफ कंडक्ट लागू हो गया। इसके बाद सभी पार्टियों के संभावित उम्मीदवारों के चेहरों पर परेशानी की सिलवटें भी नजर आने लगी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 07:16 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 06:13 AM (IST)
आसान नहीं है गढ़शंकर नगर कमेटी पर किसी पार्टी का कब्जा
आसान नहीं है गढ़शंकर नगर कमेटी पर किसी पार्टी का कब्जा

रामपाल भारद्वाज, गढ़शंकर

राज्य की 32 नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही बुधवार शाम चार बजे से कोड आफ कंडक्ट लागू हो गया। इसके बाद सभी पार्टियों के संभावित उम्मीदवारों के चेहरों पर परेशानी की सिलवटें भी नजर आने लगी है। क्योंकि, अब उन्हें अपनी अपनी पार्टियों की टिकट प्राप्त करने के लिए आकाओं के घरों के चक्कर लगाने की कवायद तेज करनी होगी। सभी उम्मीदवार वोटों के हिसाब किताब में व्यस्त हो गए हैं। चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए किसानों का कृषि सुधार कानूनों को रद करने के लिए जारी आंदोलन भी चिता का विषय बना हुआ है। उन्हें यह डर सता रहा है कि इस आंदोलन की आग में उनके कौंसलर बनने के सपने बिखर न जाएं। गढ़शंकर नगर परिषद पर पिछले काफी अरसे से अकाली भाजपा का कब्जा रहा है। कांग्रेस यहां पर कई गुटों में विभाजित है। सभी गुट अपने अपने उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने की तैयारी में हैं। पिछले चुनाव में जब कांग्रेस की ओर से शहर से लीड लेकर जाने के बावजूद नगर पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर अकाली भाजपा विराजमान हुई तो कांग्रेस के स्थानीय नेता आपस में ही लड़ते रहे। अब राज्य में सरकार बने चार साल से ऊपर हो गए हैं और विधानसभा चुनाव में गढ़शंकर से कांग्रेस पार्टी की हुई दुर्गति से सबक न लेते हुए सभी नेता अपने अपने चहेते उम्मीदवारों को प्रोत्साहित देते रहे हैं। इनकी इस लड़ाई का अंजाम क्या होता यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।

पैसा मिला पर कई वार्डो को सुविधाएं नहीं मिली

अकाली भाजपा ने नगर कौंसिल अध्यक्ष पर पिछले दस साल तक दबदबा कायम रखा। इसके कारण उनके कार्यकाल में काफी ग्रांटें भी शहर को प्राप्त हुई, पर इतना पैसे आने की बावजूद कई वार्डो में लोगों को अभी भी मूलभूत सुविधाओं की कमियों से जूझना पड़ रहा है। किसी वार्ड में पानी सप्लाई की समस्या है, तो कोई अपने वार्ड में विकास न होने का रोना रोता रहा है। करीब सभी वार्डो की ज्यादातर गलियां नालियां उखड़ी हुई हैं।

गठबंधन टूटने से छूटेंगे पसीने

दस साल से पंचायत पर कब्जा बरकरार रख रहे अकाली दल की नजर तीसरी बार अपना नगर परिषद अध्यक्ष बनाने पर है, लेकिन अकाली दल व भाजपा में समझौता टूट चुका है। अब दोनों ही पार्टियां एक दूसरे के विरुद्ध अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगी तो स्थिति दिलचस्प हो सकती है। दोनों ही दलों के सामने बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती होगी।

टक्कर देने के लिए आप तैयार

पहली बार पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़कर प्रमुख विपक्षी दल के पद पर कब्जा करने वाली आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों को कितना नुकसान पहुंचा सकते है, यह भी काफी दिलचस्प होगा। क्योंकि, अक्सर शहर में आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ही लीड करती रही है, पर इस बार विधानसभा चुनाव में शहर से आम आदमी पार्टी ने दोनों पार्टियों को पछाड़ते हुए काफी लीड प्राप्त की थी, लेकिन इसके बाद हुए सभी चुनावों में आम आदमी पार्टी को जनता का वह समर्थन नहीं मिला जो विधानसभा चुनाव में प्राप्त हुआ था।

जागरूक बन गए हैं वोटर

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के पक्ष में एक लहर चल रही थी। उस समय लोगों में सरकार बदलने का काफी उत्साह था, पर चार साल बाद विधानसभा चुनाव जैसा अब कोई उत्साह नहीं है। वोटर भी चुपचाप बैठे इन राजसी पार्टियों की गतिविधियों को बड़े ध्यान से देख रहा है।

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