कश्मीर के अखरोट अब बदलेंगे कंडी के किसानों की जिदगी
सरोज बाला दातारपुर कभी कश्मीर के श्रीनगर के आसपास और फिर कैलिफोर्निया से आयातित होने वाला अखरोट अब मुकेरियां उपमंडल के कंडी इलाका की शोभा भी बढ़ाने लगा है।
सरोज बाला, दातारपुर
कभी कश्मीर के श्रीनगर के आसपास और फिर कैलिफोर्निया से आयातित होने वाला अखरोट अब मुकेरियां उपमंडल के कंडी इलाका की शोभा भी बढ़ाने लगा है। ऐसा संभव हुआ है गांव सरियाना के किसान प्रदीप कुमार के प्रयासों से। प्रदीप कुमार ने भूमि एवं जल संभाल विभाग तलवाडा के एसडीओ राजेश शर्मा और विशेषज्ञ सीमा कुमारी के साथ अपने मन की बात की। उन्होंने उसे हिमाचल के नूरपुर स्थित क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान जाछ के कृषि केंद्र में भेजा जहां प्रदीप ने वैज्ञानिक (सहायक निदेशक) डॉ. शमशेर सिंह राणा के निर्देशन में प्रशिक्षण प्राप्त किया और राणा ने ही उन्हें वाईएस परमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से 40 पौधे अखरोट की पीकन नट प्रजाति के मुहैय्या करवाए। इन पौधों को प्रदीप ने निकट ही गांव झंग में लगाया और प्रत्येक पौधे की दूरी दस मीटर रखी।
एसडीओ राजेश शर्मा, सीमा ठाकुर तथा प्रदीप ने बताया इन पौधों की उम्र सौ साल तक होती है। औसतन यह प्रति साल एक क्विटल फल देते हैं और पूरे जीवन में 40 क्विटल फल मिलते हैं जो 800 रुपये प्रति क्विटल बिक जाते हैं। इस प्रकार एक पेड़ अपने जीवन में 32 लाख रुपये तक लाभ देता है।
प्रदीप, सीमा और राजेश शर्मा ने बताया इसके अलावा इन पौधों को न तो कोई स्परे करना पड़ता है न कोई बीमारी लगती है। इसकी लकड़ी फर्नीचर बनाने के काम आती है और इसके छिलके की दातुन महिलाएं करती हैं।
एसडीओ राजेश शार्मा तथा सीमा ने बताया कि अखरोट का फल गोल आकार का, एकल बीज वाला होता है। पहले यह फल हरे रंग का होता है, लेकिन आमतौर पर पूरी तरह से पकने के बाद भूरे रंग का दिखाई देता है। फिर छिलका हटाने से अखरोट का खोल का दिखाई देता है। इस कड़े खोल को हटाने पर भूरे रंग के बीज एक दूसरे में संलग्न होते हैं जिसमें एंटीऑक्सिडेंट होते हैं।
अखरोट की दो सबसे आम प्रमुख प्रजातियां बीज के लिए उगाई जाती हैं। फारसी या अंग्रेजी अखरोट और काले अखरोट। अंग्रेजी अखरोट (जग्लांस रेजिया) फारस में उत्पन्न हुआ। काले अखरोट (जग्लांस निग्रा) पूर्वी उत्तर अमेरिका में उत्पन्न हुआ। काला अखरोट स्वाद में ज्यादा अच्छा होता है।