होशियारपुर के गांव कोटला का एक भी किसान चार साल से नहीं जला रहा पराली, 2018 में डीसी कर चुके हैं पुरस्कृत

किसानों का कहना था कि पराली को आग न लगाने के लिए केवीके बाहोवाल व खेती विकास विभाग के अधिकारियों ने प्रेरित किया था। होशियारपुर के माहिलपुर का गांव कोटला पराली को आग न लगाने के कारण इलाके में आदर्श गांव के रूप में उभर कर सामने आया है।

By Edited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 04:08 PM (IST) Updated:Sun, 01 Nov 2020 10:06 AM (IST)
होशियारपुर के गांव कोटला का एक भी किसान चार साल से नहीं जला रहा पराली, 2018 में डीसी कर चुके हैं पुरस्कृत
धान की कटाई के बाद हैपी सीडर मशीन से बोई जा रही गेहूं की फसल (जागरण)

माहिलपुर [रामपाल भारद्वाज]। सरकार की ओर से किसानों को पराली न जलाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाकर पराली न जलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसका असर माहिलपुर के कोटला गांव के किसानों पर देखने को मिल रहा है। गांव के किसान पराली को जलाने की जगह पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, किसान भलाई केंद्र और इलाके के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा दी गई सलाह के अनुसार और उनके द्वारा उपलब्ध जानकारी और मशीनरी के साथ खेतों में ही इस्तेमाल कर रहे हैं।

गांव के किसानों का कहना था कि पराली को आग न लगाने के लिए केवीके बाहोवाल व खेती विकास विभाग के अधिकारियों ने प्रेरित किया था। जिला होशियारपुर के ब्लाक माहिलपुर का गांव कोटला पराली को आग न लगाने के कारण इलाके में आदर्श गांव के रूप में उभर कर सामने आया है। यहां के किसानों गुलाब सिंह, सुदागर सिंह, रविन्द्र सिंह, दलेर सिंह, नरिंदर सिंह, अर्पण सिंह और सिमरन ¨सह ने धान की पराली को खेतों में ही संभाल कर गेहूं की सफलतापूर्वक बुआई की है।

किसानों ने बताया कि पराली जलाने से नुकसानदायक कारणों को देखते हुए उन्होंने 2017 में धान की पराली न जलाने के लिए गांव के सभी किसानों को उत्साहित किया। धान की फसल की कटाई स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम (कंबाइन) से कराने के पश्चात हैपी सीडर तकनीक के साथ गेहूं की सीधी बुआई दो सौ एकड़ में सफलतापूर्वक की थी। किसानों ने बताया कि इस तरीके से गेहूं की बुआई करने से खेतों की वाही में कम डीजल, फसल में नदीनों की कम समस्या और जमीन की उत्पादन क्षमता को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

कृषि विभाग होशियारपुर और कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल के अधिकारी समय-समय पर गांव में आकर फसल का निरीक्षण कर किसानों को उचित मार्गदर्शन करते हैं। किसानों ने बताया कि अभी तक करीब सौ एकड़ जमीन में हैप्पी सीडर तकनीक से गेहूं की सीधी बुआई की जा चुकी है और इस मशीन से आसपास के गांवों में जाकर भी बुआई कर रहे हैं। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसानों ने उनके गांव कोटला में आकर हैप्पी सीडर तकनीक द्वारा बोई गेहूं की फसल का निरीक्षण किया और संतुष्टि भी जाहिर की। उनके इन्हीं प्रयासों को देखकर कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल और खेतीबाड़ी, किसान भलाई विभाग होशियारपुर ने उन्हें सम्मानित किया था।

अन्य गांव भी पराली न जलाने का कर रहे प्रण : डा. मनिंदर

कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल के डिप्टी डायरेक्टर डा. मनिंदर सिंह बौंस ने बताया कि यहां कोटला गांव के किसान शत प्रतिशत पराली को आग नहीं लगाते। केवीके बाहोवाल ने माहिलपुर के पंडोरी गंगा सिंह, पंजोड़ा, टोडरपुर, भगतूपुर-पचनंगल, म़खसूस पुर, ईसपुर, हल्लूवाल, डडेवाल, बाहोवाल व जल्वेहड़ा, गढ़शंकर ब्लाक के चक्क गुरु, चोहड़ा, फतेहपुर व ललिया को गोद लिया हुआ है। किसानों को हैप्पी सीडर व उच्च तकनीक के माध्यम से गेहूं की बुआई करने में सहायता की जाती है।

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