हाईटेक पुलिस के दावे : थानों को प्रतिमाह मिलता केवल 150 लीटर डीजल

राज्य सरकार की ओर से पुलिस को हाईटेक बनाने के दावे हवा में उड़ रहे हैं। पब्लिक की रक्षा के लिए प्राथमिक जरूरत डीजल ही पूरा नहीं कर पा रही। डीजल की कमी से कानून के रखवाले यानी पुलिस मुलाजिम मुश्किल में हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 06:50 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 06:50 PM (IST)
हाईटेक पुलिस के दावे : थानों को प्रतिमाह मिलता केवल 150 लीटर डीजल
हाईटेक पुलिस के दावे : थानों को प्रतिमाह मिलता केवल 150 लीटर डीजल

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : राज्य सरकार की ओर से पुलिस को हाईटेक बनाने के दावे हवा में उड़ रहे हैं। पब्लिक की रक्षा के लिए प्राथमिक जरूरत डीजल ही पूरा नहीं कर पा रही। डीजल की कमी से कानून के रखवाले यानी पुलिस मुलाजिम मुश्किल में हैं। पुलिस लाइन के पेट्रोल पंप पर कई दिन से डीजल के लाले पड़े हैं। पुलिस लाइन होशियारपुर का पंप ड्राई है। इससे थानों में तैनात एसएचओ की जेब फ्राई हो रही है। वहीं थाने में तैनात अन्य मुलाजिमों को भी आए दिन जेब में हाथ फेरना पड़ता है क्योंकि आज भी मुलाजिमों को अंग्रेजों के समय का अलाउंस मिलता है। कांस्टेबल व एएसआइ को अभी तक 50 से 150 सौ रुपये साइकिल अलाउंस मिलता है। ऐसे में पुलिस मुलाजिम आम लोगों के लिए कितनी ईमानदारी से ड्यूटी निभाएंगे यह कहना मुश्किल नहीं होगा। ड्यूटी निभाने के लिए पुलिस मुलाजिम हर समय शार्टकट ही अपनाएंगे। यदि 10 किलोमीटर का गश्त का चक्कर है तो वह तेल बचाने के लिए आधा किलोमीटर ही ड्यूटी कर वापस आ जाएंगे। ऐसे में काम कैसे चलेगा और जनता को इंसाफ कैसे मिलेगा का जवाब सिर्फ सरकार के पास ही है।

मुलाजिमों की जेबें होती हैं ढीली

तमाम थानों के एसएचओ को जेबें ढीली करके गाड़ियों में डीजल डलवाना पड़ रहा है। खाकी की हालत सरकारी नौकरी की तो नखरा क्या वाली होकर रह गई है। अभी कुछ पता नहीं है कि और कितने दिन पुलिस मुलाजिमों को जेबें ढीली करके डीजल डलवाना पड़ेगा। नाम न छापने की शर्त पर मुलाजिम बताते हैं कि पुलिस लाइन के पेट्रोल पंप पर सालभर पेट्रोल व डीजल की किल्लत बरकरार रहती है। थाने का काम चलाने के लिए बाहर के पेट्रोल पंपों से डीजल डलवाना पड़ता है। यह सिलसिला पिछले कई दिन से चल रहा है। दबी जुबान में कुछ मुलाजिम बताते हैं कि पेट्रोल और डीजल की किल्लत से भ्रष्टाचार भी होता है क्योंकि कुछ एसएचओ जेब से पैसा खर्च करने के बजाय थानों में काम करवाने आने वाले लोगों की जेबें ढीली कर लेते हैं। एसएचओ को इलाके में गाड़ियों को दौड़ाते हुए डर लगता है क्योंकि उन्हें फिक्स कर दिया गया है कि एक माह की अवधि में 150 लीटर डीजल मिलेगा।

इलाका बढ़ा पर घटता गया डीजल का कोटा

आंकड़े बताते हैं कि पहले एसएचओ को एक माह के लिए डीजल 400 लीटर मिलता था। इसके बाद डीजल पर कैंची मारते हुए एक माह की लिमिट 350 लीटर कर दी गई। हद तो तब हो गई जब विभाग ने एसएचओ की डीजल में कटौती करते हुए 150 लीटर प्रतिमाह फिक्स कर दिया। मसलन कि एक एसएचओ प्रतिदिन छह लीटर डीजल की खपत कर सकता है। यानी लगातार थानों का क्षेत्रफल, ड्यूटी और इलाके की जनसंख्या भी बढ़ रही है लेकिन सुविधा में कटौती हो रही है। थानों को केवल 150 लीटर डीजल ही मिलता है, पर एमटीओ के हिसाब से हर थाने को सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 250 लीटर डीजल दिया जाता है।

जिले में हैं चौदह थाने

जिले में चौदह थाने हैं। पेट्रोल पंप की व्यवस्था सिर्फ होशियारपुर में है। यहां पंप से सिर्फ थाना सदर, महिला थाना, थाना माडल टाउन, थाना सिटी और सीआइए स्टाफ को पेट्रोल होने की सूरत में फायदा मिलता है। बाकी के थानों के प्रभारी सालभर खुद का जुगाड़ करके डीजल डलवाते हैं।

chat bot
आपका साथी