पितरों को समर्पित है श्राद्ध के 16 दिन, श्रद्धा भाव से करें तर्पण

हिन्दू धर्म में वर्ष के सोलह दिनों को अपने पितर या पूर्वजों को नमन करेंगे

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 05:26 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 05:57 PM (IST)
पितरों को समर्पित है श्राद्ध के 16 दिन, श्रद्धा भाव से करें तर्पण
पितरों को समर्पित है श्राद्ध के 16 दिन, श्रद्धा भाव से करें तर्पण

जागरण टीम, होशियारपुर :

हिन्दू धर्म में वर्ष के सोलह दिनों को अपने पितर या पूर्वजों को समर्पित किया गया है, जिसे 'पितृ पक्ष' या 'श्राद्ध पक्ष' कहते हैं। इसे महालय के नाम से भी जाना जाता है।

हिदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितर पक्ष के रूप में मनाया जाता है पर पितृ पक्ष का आरम्भ भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से ही हो जाता है, इस बार पितृ पक्ष या महालय 20 सितम्बर से आरम्भ होकर छह अक्टूबर तक उपस्थित रहेगा। उक्त जानकारी देते हुए भूतगिरी मंदिर के पंडित श्यामा जी ने बताया कि पितृ पक्ष का वास्तविक तात्पर्य अपने पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट करना है। इसीलिए इसे श्राद्ध पक्ष या श्राद्ध का नाम दिया गया है, यहां एक विशेष बात यह भी है के प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के समय ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य कन्या राशि में स्थित रहता है। अत: सूर्य के इस समय कन्या-गत होने के कारण ही पितृ पक्ष को 'कनागत' के नाम से भी जाना जाता है। केवल हिन्दू धर्म ही एक ऐसी संस्कृति है जिसमे अपने पूर्वजों को मरणोपरांत भी पितर के रूप में श्रद्धा के साथ याद किया जाता है। इस बार विशेष है श्राद्ध

श्राद्धों की कुल संख्या 16 होती है। जिसमें भाद्रपद मास की पूर्णिमा को पहला श्राद्ध होता है। इसी दिन से श्राद्ध पक्ष शुरू माना जाता है, पर इस बार कुछ विशेष कारणों से पितर पक्ष 17 दिन उपस्थित रहेगा। इस बार 20 सितम्बर को पूर्णिमा के श्राद्ध के साथ ही महालय आरम्भ होगा और इसी क्रम में 21 तारीख को प्रतिपदा का श्राद्ध होगा, 22, 23 व 24 को द्वितीय तृतीया और चतुर्थी के श्राद्ध होंगे। 25 और 26 सितम्बर दोनों ही दिन पंचमी तिथि का श्राद्ध होगा। इसके बाद 27 सितम्बर को षष्टी तिथि के श्राद्ध से 6 अक्टूबर अमावस्या तक सभी श्राद्ध एक सीधे क्रम में होंगे। इस बात का रखें ख्याल

पंडित श्यामा ने बताया कि श्राद्ध अपने पूर्वज या पितरों के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करने की परम्परा है जो पूर्णत शास्त्रोक्त और गूढ़ महत्व रखने वाली है वह विशेष समय जब हमारे पूर्वज पितृ रूप में पृथ्वी लोक पर अपने वंशजों के यहां आते है और हमारे द्वारा उनके निमित्त अर्पित किए गए पदार्थों को ग्रहण करके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं, पितृ वास्तव में हमारी श्रद्धा के ही भूखे होते है। अत: पूर्ण श्रद्धा रखते हुए अपने पितरों को यह सोलह दिन समर्पित करने चाहिए। पितृ पक्ष में तामसिक आहार और विचारों का त्याग करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सात्विक मन की स्थिति में रहना चाहिए।

विधि विधान से करना चाहिए तर्पण

पितृ पक्ष में प्रतिदिन स्नानोपरांत दक्षिण दिशा की और मुख करके पितरों के प्रति जल का अ‌र्घ्य देना चाहिए और पितरों से जीवन के मंगल की प्रार्थना करनी चाहिए पौराणिक और शास्त्रोक्त वर्णन के अनुसार पितृलोक में जल की कमी है, जिस कारण पितृ तर्पण में जल अर्पित करने का बड़ा महत्व है।

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