पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है: महंत राजगिरी

श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा आस्था व प्रेम के साथ पितरों को किसी भी प्रकार की भेंट चढ़ाना। पितृ पक्ष पर चर्चा करते हुए महंत राज गिरी जी ने कहा पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन जल जौ कुश अक्षत दूध पुष्प आदि से उनका श्राद्ध संपन्न किया जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 03:32 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 03:32 PM (IST)
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है: महंत राजगिरी
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है: महंत राजगिरी

संवाद सहयोगी, दातारपुर: श्राद्ध का अर्थ है, श्रद्धा, आस्था व प्रेम के साथ पितरों को किसी भी प्रकार की भेंट चढ़ाना। पितृ पक्ष पर चर्चा करते हुए महंत राज गिरी जी ने कहा पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन जल, जौ, कुश, अक्षत, दूध, पुष्प आदि से उनका श्राद्ध संपन्न किया जाता है। उन्होंने कहा पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पूर्वज प्रसन्न होकर पूरे वर्ष आपके दीर्घायु व प्रगति की कामना करते है। एक मास में दो पक्ष होते है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, एक पक्ष 15 दिन का होता है। अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिन पितृ पक्ष के नाम से प्रचलित है। इन 15 दिनों में लोग अपने पूर्वजों, पितरों को जल देते है व उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते है। पितरों का ऋण श्राद्धों के द्वारा उतारा जाता है। पितृ पक्ष श्राद्धों के लिए निश्चित 15 तिथियों का कार्यकाल होता है। वर्ष के किसी महीना या तिथि में स्वर्गवासी हुए पूर्वजों के लिए कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार इस काल में करना चाहिए तर्पन

शास्त्रों के अनुसार गृहस्थ को अपने पूर्वजों के निधन की तिथि के दिन तृतीय प्रहर (अपरान्ह क ाल) में श्राद्ध करना चाहिए। इसलिए पितृकर्म में अपरान्ह व्यापनी तिथि ग्रहण करनी चाहिए। तर्पण प्रत्येक दिन मध्यान्ह 12 से डेढ़ के मध्य करना उचित है। इस अवसर पर कवि राजिंदर मेहता, विक्रांत मेहता, बनवारी लाल, सुदर्शन ऐरी, रमन गोल्डी, गोपाल शर्मा, अजित सिंह, शाम लाल, सुभाष शर्मा उपस्थित थे।

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