अधरंग ने बना दिया था लाचार, योग से पाई बीमारी से जीत : कांता भाटिया
मैंने पहले सुना था कि योग करने से सभी रोगों का निवारण हो सकता है। शरीर के लिए यह काफी लाभदायक है।
नीरज शर्मा, होशियारपुर
मैंने पहले सुना था कि योग करने से सभी रोगों का निवारण हो सकता है। शरीर के लिए यह काफी लाभदायक है। लेकिन इन बातों को केवल किताबी मानती थी। हल्की फुल्की सैर हर रोज करती थी। एक दिन अधरंग का अटैक आया। शरीर का एक भाग सुन हो गया। पहले तो समझ ही नहीं लगा कि हुआ क्या है। एक हाथ व पैर ऐसे लग रहे थे जैसे पत्थर बन चुके हैं। डाक्टरों को तुरंत दिखाया तो पता चला कि पैरालाइज हो गया है। होशियारपुर, जालंधर, लुधियाना में डाक्टरों को दिखाया, जहां जहां लोगों ने बताया वह जगह भी नहीं छोड़ी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। लगभग एक साल भटकती रहीं। ऐसा लग रहा था जैसे परिवार के लिए बोझ बन चुकी हूं। इस दौरान नजदीकी रिश्तेदार मदन मोहन ने योग करने की सलाह दी। सोचा दवाइयां भी खा रही हूं, अब यह भी कर लेती हूं। योग शुरू किया और एक सप्ताह में फर्क महसूस होने लगा और आज योग के कारण ही दोबार चल फिर पाई हूं। यह कहना है होशियारपुर के कोतवाली बाजार में रहने वाली गृहिणी कांता भाटिया का। कांता भाटिया बताती हैं कि योग ने उनके शारीरिक कष्ट दूर कर दिए। तब से लेकर आज तक योग मेरे व परिवार के जीवन का हिस्सा बन चुका है। जब तक योग आसन न करूं तो दिन की शुरुआत नहीं होता या यूं कहें कि योग रुटीन की खुराक है।
पैरों पर हूं तो योग के सहारे
कांता भाटिया ने बताया कि यह कोई सुनी सुनाई बात नहीं है, मैंने खुद सहन किया है। अधरंग ने अच्छी भली जिदगी को मोहताज कर दिया था। पानी पीने के लिए भी किसी सदस्य का इंतजार करना पड़ता था, लेकिन योग करने से उनका रोग भी दूर हुआ और उसके बाद कभी कोई शारीरिक बीमारी भी नहीं हुई। आज यदि वह अपने पैरों पर हैं तो योग के सहारे।
मानव के लिए वरदान से कम नहीं है योग
कांता भाटिया ने बताया कि योग करने के एक सप्ताह के बाद ही हाथ की अंगुलियां में हरकत होने लग गई थी। इसके बाद लगातार योग करती रहीं और लगभग डेढ़ से दो माह में ही अधरंग का असर काफी कम हो चुका था। योग मानव के लिए वरदान है और इसे जरूर करना चाहिए। योग साधन आश्रम के सदस्य व उनके रिश्तेदार मदन मोहन ने उन्हें कुछ आसन बताए जिसमें जीवन तत्व व यौवन तत्व दो तरह की प्रणालियां थी जिनको अपना कर रोग से मुक्त हो सकीं।
योग से मिलता है निरोग जीवन : मदन मोहन
योग साधन आश्रम, माडल टाउन से 1975 से जुड़े मदन मोहन ने बताया कि वह बाक्सिग के प्लेयर थे। इस गेम में सहनशक्ति की जरूरत होती है। एक हिदी फिल्म में योग के बारे में पता चला जिसके बाद योग साधन आश्रम में जाने लगे। तब से लेकर आज तक योग की शरण में हैं। योग सबसे उत्तम है। उनके गुरु स्वर्गीय चमन लाल कपूर ने उनका जीवन बदल दिया। योग के बल पर ही वह गेम में परफैक्ट बने और पंजाब के साथ-साथ हिमाचल में कई मुकाबलों में अव्वल रहे।