नगर निगम उदासीन, कामर्शियल बिल्डिंगें रेन वाटर हार्वेस्टिंग से विहीन

हजारी लाल होशियारपुर नगर निगम होशियारपुर की मेयर की कुर्सी पर काबिज होकर कांग्र

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 10:39 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 10:39 PM (IST)
नगर निगम उदासीन, कामर्शियल बिल्डिंगें रेन वाटर हार्वेस्टिंग से विहीन
नगर निगम उदासीन, कामर्शियल बिल्डिंगें रेन वाटर हार्वेस्टिंग से विहीन

हजारी लाल, होशियारपुर

नगर निगम होशियारपुर की मेयर की कुर्सी पर काबिज होकर कांग्रेस भले ही फूले नहीं समा रही है, लेकिन निगम के बिगड़ी व्यवस्था को सुधारना नए मेयर को किसी चुनौती से कम नहीं है। शहर में गर्मियों में जल संकट गहराने की समस्या पुरानी है। हालांकि सरकार ने बरसाती पानी बचाने के लिए कामर्शियल बिल्डिंगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने का प्रावधान है, मगर निगम अधिकारियों में इच्छा शक्ति की कमी होने की वजह से जल बचाने का प्रयास असफल साबित हो रहा है। क्योंकि बिल्डिंग के मालिक न तो रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने में गंभीरता दिखाते हैं और न ही निगम अधिकारी उन पर कानून का डंडा चलाते हैं।

बताते चले हैं कि आखिरकार पूरा माजरा है क्या। नगर निगम के अधीन शहर में पचास वार्ड आते हैं। इन वार्डों के तहत पांच सौ गज से ऊपर मकान का नक्शा पास करते समय नगर निगम रेन वाटर हार्वेस्टिग बनाने की शर्त रखता है। इसके लिए बाकायदा तौर पर बीस हजार रुपये सिक्योरिटी जमा कराई जाती है। दुखद पहलू यह है कि नक्शा पास करवाने के बाद बिल्डिंगों के मालिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाना मुनासिब नहीं समझते हैं। क्योंकि इस सिस्टम पर करीब 70 हजार रुपये खर्च होते हैं। लिहाजा, ज्यादा पैसा खर्च करने से

बचने के लिए लोग यह हथकंडा अपनाते हैं कि नक्शा पास करवा लेते हैं और घर बनाते समय रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाते। वह सिक्योरिटी को भूल जाते हैं।

नगर निगम भी उन पर कोई

ठोस कार्रवाई करने के बजाय सिक्योरिटी पर कुंडली मारकर बैठा रहता है, जबकि चाहिए यह कि नियमों को दरकिनार करके बिल्डिंगों को खड़ी करने वाले मालिकों पर कानूनी शिकंजा कसा जाए। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक हर साल करीब सौ नक्शे ऐसे पास होते हैं, जो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के दायरे में आते हैं, लेकिन किसी ने भी नियमों को नहीं अपनाया है। यह नगर निगम की उदासीनता ही कहेंगे कि बर्बाद हो रहा बरसाती जल आने वाले कल के लिए नई मुसीबत खड़ा कर रहा है। अगर यह कहा जाए कि इसके लिए निगम अधिकारी ही जिम्मेदार हैं तो शायद कुछ गलत नहीं होगा। कड़ाई से लागू होंगे नियम: मेयर

मेयर सुरिदर छिदा ने कहा कि जल बचाने के लिए कड़ाई से नियम लागू होंगे। वह संबंधित अधिकारियों को आदेश देंगे कि नियमों के आधार पर ही कार्मशियल बिल्डिंगें बनें। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई होगी। डार्क जोन में पहुंचे जिले के चार ब्लाक

भूजल का अत्यधिक दोहन और बरसाती पानी की संभाल न होने से धरती डार्क जोन में पहुंच रही है। जिले के ब्लाक मुकेरियां को छोड़कर अन्य ब्लाकों की स्थिति ठीक नहीं है। गढ़शंकर, दसूहा, हाजीपुर व टांडा डार्क जोन में चले गए हैं जबकि तलवाड़ा ग्रे जोन में पहुंच चुका है। ब्लाक भूंगा, होशियारपुर-1 और माहिलपुर ग्रे जोन की ओर बढ़ रहा है।

यह भी हैं कारण

कृषि विभाग विभाग के मुताबिक फसली चक्र का न टूट पाना और अत्याधिक दोहन से स्थिति खराब हो रही है। कुआं, तालाब न होना भी समस्या का कारण बन रहा है।

chat bot
आपका साथी