कुल हिद किसान सभा ने जलाया केंद्र सरकार का पुतला
गांव पुराना भंगाला में किसानों ने रविवार को कुल हिद किसान सभा की अगुवाई में प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार का पुतला फूंककर नारेबाजी की।
संवाद सहयोगी, मुकेरियां : गांव पुराना भंगाला में किसानों ने रविवार को कुल हिद किसान सभा की अगुवाई में प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार का पुतला फूंककर नारेबाजी की। प्रदर्शन का नेतृत्व कश्मीर सिंह, तेजिदर सिंह, रछपाल सिंह और हरदेव सिंह ने किया। प्रदेश संयुक्त सचिव आशा नंद, मास्टर ईशर सिंह मंझपुर, विजय सिंह पोटा, मोहन सिंह विशेष रूप में पहुंचे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अधिकारी संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय निकाय के प्रति गलत बयान देने से हिचक नहीं रहे हैं। मंडियों में सरकारी खरीद नहीं होने के कारण मक्का 600 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है। सरकारी नियंत्रण की कमी के कारण तेल कंपनियों ने तेल की कीमतों में वृद्धि की सीमा का उल्लंघन किया है। रसोई गैस सब्सिडी बंद कर दी गई है। सरकार केवल कारपोरेट घरानों की आय को बढ़ाने और आम जनता को गुलाम बनाने के लिए देश को बेच रही है। इस मौके पर जसपाल सिंह, बलवीर सिंह, अमित कुमार, राजवीर सिंह, कुलविदर सिंह, जतिदर सिंह, रवि कुमार, जरनैल सिंह, नरिदर सिंह, सुखजिदर सिंह, अमृतपाल सिंह, रूप सिंह, साबी जट्ट, सतनाम सिंह सत्त, बहादुर सिंह, सरदारी लाल अशोक कुमार, थोदू राम, पूरन चंद, रूप लाल, कश्मीर सिंह, तेजिदर सिंह, रशपाल सिंह, मोहन सिंह, हरदेव सिंह, विजय सिंह, भिडा नामदारिया उपस्थित थे।
कृषि सुधार कानूनों के विरोध में निकाली ट्रैक्टर व बाइक रैली
संवाद सहयोगी, गढ़दीवाला : कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली की जेलों में नाजायज तौर पर बंद किसानों को रिहा करने की मांग के लिए रविवार को नौजवान किसान मजदूर एकता ने ट्रैक्टर ट्राली व मोटरसाइकिल रैली निकाली। इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों का रोष मार्च गांव रामदासपुर से शुरू होकर गढ़दीवाला मानगढ़ टोल प्लाजा व दाना मंडी दसूहा से होता हुआ गुरुद्वारा बाबा केसरदास गांव जीया सहोता में समाप्त हुआ। किसान संगठनों के विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार कृषि सुधार कानूनों को जबरदस्ती थोप रही है जबकि यह कानून किसानों के बिल्कुल हित में नहीं है। उन्होंने कहा, लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन केंद्र सरकार तानाशाही रवैये से किसानों की आवाज को कुचलना चाहती है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, जब तक केंद्र सरकार कृषि सुधार कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक किसान संघर्ष जारी रखेंगे।