15 करोड़ रुपये की लागत से कंडी नहर की हो रही मरम्मत
विश्व बैंक के सहयोग से अस्तित्व में आई कंडी नहर शुरू से ही बदहाली का शिकार होती रही है
संवाद सहयोगी, दातारपुर
विश्व बैंक के सहयोग से अस्तित्व में आई कंडी नहर शुरू से ही बदहाली का शिकार होती रही है। जब भी किसानों को सिचाई के लिए पानी की जरूरत होती है उस समय या तो यह नहर टूट जाती है, रिसाव होने लगता है अथवा मरम्मत के लिए बंद कर दी जाती है। अभी हाल ही में अगस्त महीने में भी यह नहर दातारपुर में टूट गई थी, इसका 70 फीट लंबा और 40 फीट गहरा हिस्सा दरक गया था। इसके उद्गम स्थान बैरियर से जहां से यह मुकेरियां हाइडल नहर से निकलती है से लेकर पांच किलोमीटर तक का हिस्सा परेशानी का सबब बना हुआ था। लिहाजा जीरो आरडी से 5000 आरडी तक इसकी मरम्मत का काम शुरू किया गया है
पहले चरण में ईटों की लाइनिग को हटाया गया फिर पूरा दायां किनारा जहां से समस्या थी बड़ी मशीनों की मदद से उखाड़ा गया और फिर नई मिट्टी लाकर दायां किनारा भरा गया पानी डाल कर भारी मशीनरी से मिट्टी को प्रेस किया गया है ताकि फिर से कैविटी बनने की सम्भावना न रहे और रिसाव की समस्या का पक्का समाधान किया जा सके। इस विषय में कंडी नहर विभाग के एक्सियन मंजीत सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि कुल पांच किलोमीटर नहर जो कि जीरो आरडी से 5000आरडी अथवा गांव देपुर तक है जहां सारी नहर जमीन से काफी उंचाई पर है इसी जगह लाइनिग ज्यादा खराब हालत में है और इसी जगह से बार बार रिसाव की घटनाएं होती है। उन्होंने बताया आरडी 2500 तक सात करोड़ और आरडी 2500 से आरडी 5000 तक आठ करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। नहर को 15 करोड़ की लागत से मरम्मत का काम किया जा रहा है
मंजीत सिंह ने कहा क्योंकि किसानों को अगली फसल के लिए सिचाई के लिए असुविधा न हो इसके लिए शीघ्रातिशीघ्र इस हिस्से की मरम्मत कर दी जाएगी ताकि किसानों को समय पर सिचाई के लिए पानी मिल सके। उन्होंने कहा कम युद्धस्तर पर जारी है और जून के पहले सप्ताह तक मरम्मत का काम पूरा करके नहर में पानी छोड़ दिया जाएगा।