कामाक्षी देवी मंदिर, यहां युधिष्ठिर ने की थी तपस्या
कमाही देवी में स्थित मां कामाक्षी देवी का मंदिर प्राचीन समय से ही भक्तो में आस्था का केंद्र बना है।
सरोज बाला, दातारपुर :
कमाही देवी में स्थित मां कामाक्षी देवी का मंदिर प्राचीन समय से ही भक्तों की श्रद्धा का केंद्र रहा है। मंदिर में स्थापित पिडी के नीचे से जल निकलता है, जो कि मंदिर के सामने बने सरोवर में गिरता है। मां कामाक्षी देवी मंदिर को नवरात्र के उपलक्ष्य में चारों तरफ से सुंदर सजाया गया है। भक्तों के लिए रहने व खाने के लिए मंदिर प्रबंधन की ओर से विशेष प्रबंध किया गया है।
ऐसे पहुंचे मां कामाक्षी दरबार में
होशियारपुर से 50किमी वाया हरियाणा व दसूहा 20 किमी और दातारपुर से कमाही देवी जाने के लिए बसों की उपलब्धता है। प्राइवेट व सरकारी बसें होशियारपुर बस अड्डे से मिलती रहती हैं। इसके अलावा तलवाडा से 16 किमी व मुकेरियां से 30 किमी दूर है शक्तिपीठ कमाही देवी। इतिहास
शिवालिक पर्वतमाला की गोद में स्थित कमाही देवी मां कामाक्षी देवी मंदिर हजारों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है। तपोमूर्ति महंत 108 श्री राजगिरी जी की अध्यक्षता में यहां नवरात्रों के उपलक्ष्य में मेला लगाया जाता है। प्राचीन कथा के अनुसार यहां पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां मां की आराधना की थी। विराटनगरी दसूहा में रहते हुए ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर ने यहां तपस्या की थी। साल में दो बार लगने वाले नवरात्रि मेला में असंख्य श्रद्धालु यहां आते हैं और मन्नतें मांगते हैं पूरी होने पर ढोल व बाजों के साथ आते हैं और अपनी खुशी का इजहार करते हैं। नवरात्रों में ही श्रद्धालु यहां अपने नवजात शिशुओं के मुंडन करवाने दूर दूर से आते हैं। अन्य प्रांतों में है मान्यता
विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालु यहां माता के दरबार में हाजिरी लगवाते है, मन्नत मांगते है व मनोकामनाएं पूरी होने पर प्रसाद, नारियल, धूप, चुनरी आदि पदार्थों से पूजा कर ध्वजारोहण ढोल बाजे के साथ करते हैं और जगतजननी के प्रति अपनी श्रद्धा एवं आस्था का इजहार करते हैं। वास्तुकला
मंदिर में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए कई कमरे व दो बड़े सत्संग भवन है। जो सभी सुविधाओं से सुसज्जित है। लंगर व्यवस्था लगातार सुचारू रुप से चल रहे हैं। प्रतिदिन यहां दुर्गा माता की पूजा व आरती की जाती है। करवाई जाती है कथा
तपो मूर्ति महंत श्री राजगिरी की अध्यक्षता में यहां भागवत कथा, श्री राम कथा, विष्णु यश तथा धर्म सम्मेलन सारा साल करवाए जाते हैं। महंत ने बताया कि मां कामाक्षी देवी सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी करती है। मेले में सैकड़ो श्रद्धालु प्रतिदिन यहां आते हैं। तैयारियां
यहां हर रोज सुबह शाम बड़ी विहंगम आरती, हवन यज्ञ व अन्य आयोजन नियमित होते हैं। विद्वान अजय शास्त्री, बनवारीलाल बड़े नियम से सारी प्रक्रिया को अंजाम देते हैं। महंत जी भी बहुत ही विनम्र स्वभाव के उच्च कोटि के संत हैं और हर समय परहित चितन में लगे रहते हैं।