बच्चों से लगाव है इसलिए चाइल्ड स्पेशलिस्ट बने डा. प्रदीप भाटिया

आज जो कुछ हूं माता के आशीर्वाद की बदौलत हूं। यदि डाक्टर न होता तो इंजीनियर होता क्योंकि गणित व साइंस में शुरू से ही टापर रहा हूं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 05:18 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 08:24 AM (IST)
बच्चों से लगाव है इसलिए चाइल्ड स्पेशलिस्ट बने डा. प्रदीप भाटिया
बच्चों से लगाव है इसलिए चाइल्ड स्पेशलिस्ट बने डा. प्रदीप भाटिया

नीरज शर्मा, होशियारपुर

आज जो कुछ हूं, माता के आशीर्वाद की बदौलत हूं। यदि डाक्टर न होता तो इंजीनियर होता, क्योंकि गणित व साइंस में शुरू से ही टापर रहा हूं। आज भी याद है कि दसवीं में गणित में 100 में से 100 अंक आए थे। इसके बाद परिवार वालों ने बोला था कि इंजीनियर की पढ़ाई करो पर मैं डाक्टर बनना चाहता था। डाक्टर बनने की मन में इतनी ललक थी कि स्कूल में ही दोस्त डाक्टर-डाक्टर कहकर बुलाने लगे थे। यह कहना है ईएसआइ अस्पताल में बतौर एसएमओ तैनात बच्चों के माहिर डा. प्रदीप भाटिया का। डा. भाटिया कोरोना ब्रेक होने के बाद उस टीम का हिस्सा थे जिन्होंने पंजाब में पहले टेस्ट किए। टीम ने मोरांवाली में 38 टेस्ट किए थे। डा. प्रदीप भाटिया ने बचपन से जुड़ी यादें व अनुभवों को दैनिक जागरण की टीम के साथ साझा की जो इस प्रकार हैं। सवाल : डाक्टर बनने की कब ठानी?

जवाब : डाक्टर बनने का शौक बचपन से ही था। दसवीं में जब गणित में नंबर अच्छे आए तो परिवार वालों ने कहा था इंजीनियर की पढ़ाई करो, साइंस भी मेरी अच्छी थी, इसलिए वह मुझ पर इंजीनियर बनने के लिए कह रहे थे। लेकिन मैंने तब भी डाक्टर बनने पर जोर दिया था। सवाल : चाइल्ड स्पेशलिस्ट ही क्यों बने?

जवाब : बच्चों से शुरू से लगाव है। एमबीबीएस सीएमसी लुधियाना से की। 1997 में बतौर डाक्टर मानसा में तैनात हो गया, पर शुरू से ही बच्चों के साथ लगाव होने के कारण चाइल्ड स्पेशलिस्ट बनना चाहता था, फिर उसकी पढ़ाई की। बच्चों की तकलीफ को दूर करना मन को सुकून देने वाला अहसास है। सवाल : नौकरी में कोई खास दिन जो आज भी याद है?

जवाब : वैसे तो नौकरी का हर दिन विशेष होता है, क्योंकि डाक्टर को लगातार मरीजों की भलाई के लिए सटीकता से काम करना पड़ता है, पर पिछले साल जब कोरोना पंजाब में ब्रेक हुआ और पंजाब का सबसे पहला केस मोरांवाली व पठलावा में आया था। मैं उस टीम में शामिल था जिसने पूरे पंजाब में पहली बार मोरांवाली में कोरोना के टेस्ट किए थे। अब तो हालात काफी जाने पहचाने हैं, तब तो यह भी साफ नहीं था कि टेस्ट किस प्रकार करने हैं, क्योंकि उस टाइम लोगों में कोरोना को लेकर काफी डर था। सवाल : डाक्टरी के अलावा क्या क्या शौक हैं?

जवाब : डाक्टरी के अलावा फिटनेस रखने का काफी शौक है। जिम रूटीन से करता हूं, कसरत शरीर के लिए बहुत जरूरी है। यह हमें कई तरह के रोगों से बचाती है। इसके अलावा क्रिकेट खेलना बहुत पसंद है। सीएमसी कालेज में क्रिकेट टीम में खेलता रहा हूं और इस दौरान टीम का कप्तान भी था। कई बार टेबल टेनिस और वालीबॉल की भी प्रेक्टिस करता हूं।

सवाल : कोरोना को लेकर बच्चों के लिए क्या टिप्स देंगे?

जवाब : कोरोना जैसी महामारी केवल सावधानी और जागरूकता से ही दूर हो सकती है। अब तो वैक्सीनेशन शुरू है, जाहिर सी बात है कि वैक्सीनेशन करवाना बहुत जरूरी है। बच्चों को खास ध्यान देने की जरूरत है, हो सके तो भीड़भाड़ वाले इलाके में मत जाने दें। इसके अलावा बच्चों की सफाई का पूरा ध्यान रखें, खासतौर पर खुराक पौष्टिक होनी चाहिए ताकि उनकी इम्युनिटी बनी रहे। बच्चों को सुबह की सैर जरूर करवाएं।

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