मुसीबतों से लड़कर कामयाबी की मंजिल पर पहुंचे विधायक पवन आदिया

पढ़ना तो बहुत चाहता था मगर मजबूरी में बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ी और बड़े भाई के साथ दुकान के काम में हाथ बंटाने लगा था। उसी दिन ठान लिया था कि मैं तो नहीं पढ़ पाया पर बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाऊंगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 07:10 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 07:10 AM (IST)
मुसीबतों से लड़कर कामयाबी की मंजिल पर पहुंचे विधायक पवन आदिया
मुसीबतों से लड़कर कामयाबी की मंजिल पर पहुंचे विधायक पवन आदिया

हजारी लाल, होशियारपुर

पढ़ना तो बहुत चाहता था मगर मजबूरी में बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ी और बड़े भाई के साथ दुकान के काम में हाथ बंटाने लगा था। उसी दिन ठान लिया था कि मैं तो नहीं पढ़ पाया, पर बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाऊंगा। जैसा सोचा, वैसा कर भी दिखाया। जिदगी में उतार-चढ़ाव के दिन देखने वाले हैं। हलका शामचौरासी से कांग्रेस विधायक पवन कुमार आदिया मेहनत के बल पर सफल राजनेता बने हैं। दैनिक जागरण से खास बातचीत में आदिया बताते हैं कि पिता गरीब दास बिजली बोर्ड में लाइनमैन थे। मां स्वर्ण लता गृहणी थीं। उन दिनों पिता को जितनी तनख्वाह मिलती थी, उससे घर का गुजारा बमुश्किल होता था। खैर, पिता ने उन्हें 12वीं कक्षा तक पढ़ाया लेकिन हालात जवाब दे चुके थे। पढ़ाई छोड़नी पड़ गई। उन दिनों वाल्मीकि मोहल्ला में रहता था। एक कमरा था, वह भी कच्चा और उसी में सभी रहते थे। भाई बृज भूषण सब्जी का काम करते थे। उनके साथ ही दुकान संभालने लगा। पढ़ाई के दौरान सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहता था इसलिए राजनीति में भी सक्रियता बढ़ाई। 1980 में ज्ञानी जैल सिंह ने यहां से चुनाव लड़ा था और मैंने उनके लिए दिन रात काम किया। यूथ कांग्रेस के लिए राजनीति करता रहा। हमेशा ही अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। कई बार आंदोलन के कारण जेल भी गया। 1981 में कुसुम के साथ शादी हुई। उनकी इस कामयाबी में पत्नी कुसुम आदिया का भी बहुत बड़ा हाथ है। कुसुम भी पार्षद रह चुकी हैं।

वफादारी बनी कामयाबी की सीढ़ी

यूथ कांग्रेस में महासचिव की जिम्मेदारी निभाई। 1992 में प्रदेश यूथ कांग्रेस के वाइस प्रधान रहे। उनकी वफादारी को देखते हुए 2002 में कांग्रेस ने गढ़दीवाला से विधानसभा का चुनाव लड़ाया। हालांकि वह सफल नहीं हो पाए। इसी अवधि में कैप्टन सरकार ने उन्हें नगर सुधार ट्रस्ट होशियारपुर का चेयरमैन बनाया। हमेशा ही वफादारी से राजनीति करने को तवज्जो दी। 2016 में जिला कांग्रेस के प्रधान बने और 2017 में शामचौरासी से विधानसभा का चुनाव लड़ा और एमएलए बन गए। वह कहते हैं कि आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, उसके पीछे ईमानदारी और अन्याय के खिलाफ लड़ी लड़ाई ही है।

सभी बच्चों के नाम के पीछे पवन लगाने से मिला सुकून

आज भी मुख्य काम खेती ही है। सफल राजनीतिज्ञ न होते तो भी अन्याय के खिलाफ ही आवाज बुलंद करते व समाजसेवा करते। माडल टाउन में रहने वाले आदिया ने अपने बच्चों को खूब पढ़ाया है। बड़ी बेटी शिखा पवन डाक्टर है। छोटी बेटी शिल्पा पवन ने एनीमेशन किया है। बेटे सौरभ पवन ने पायलट और एग्रीकल्चर की डिग्री की है। छोटा बेटा साहिल पवन डाक्टर है। सभी बच्चों के पीछे पवन लगाने के बारे में पूछने पर आदिया कहते हैं, वह तो ज्यादा पढ़ नहीं पाए, लेकिन बच्चों के नाम के पीछे पवन से उन्हें सुकून मिलता है कि उन्हें भी यह उपलब्धि हासिल हो गई है।

खाली समय में कुकिग का शौक

विधायक पवन आदिया को खाली समय में कुकिग का शौक है। बताते हैं कि उनके पिता गरीब दास को भी कुकिग पसंद थी। खाली समय में पत्नी कुसुम के साथ कभी लंच तो कभी डिनर तैयार करते हैं। कुकिग करके उन्हें बहुत मजा आता है।

chat bot
आपका साथी