गौशाला शिव मंदिर में भोले के जयकारों के बीच होता है जलाभिषेक

गांव भटोली हार में कंडी नहर के किनारे बने शिव मंदिर की आस्था दूर-दूर तक है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 04:15 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 05:29 AM (IST)
गौशाला शिव मंदिर में भोले के जयकारों के बीच होता है जलाभिषेक
गौशाला शिव मंदिर में भोले के जयकारों के बीच होता है जलाभिषेक

सरोज बाला, दातारपुर : गांव भटोली हार में कंडी नहर के किनारे बने शिव मंदिर की आस्था दूर-दूर तक है। यहां महाशिवरात्रि और सावन महीने में भक्तों की भीड़ लगती है। पूरे विधिविधान से लोग शिवजी की पूजा अर्चना करते हैं और अपने परिवार व समाज की भलाई की दुआ मांगते हैं।

मंदिर का इतिहास

कुछ वर्ष पूर्व भटोली के पूर्व सरपंच पंडित भगवान दास के पुत्रों ने लगभग एक एकड़ जमीन दान देकर कंडी नहर के किनारे पावन शिवलिग की प्रतिष्ठापना करवाकर भव्य शिवालय बनवाया। शिवजी की अपार कृपा और ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर महंत राम प्रकाश दास व स्वामी सत्यानंद पुरी की प्रेरणा से परिवार ने लाचार व बेसहारा गायों की दुर्दशा देखकर गौशाला भी परिसर में बनवा दी। यह परिसर आज गौसेवा व शिवभक्ति का प्रतीक बन गया है। स्वामी सत्यानंद के बैकुंठ गमन के बाद स्वामी महेश पुरी की अध्यक्षता में गौशाला में बेसहारा 50 गायों की सेवा बहुत बढि़या तरीके से की जाती है। यहां महाशिवरात्रि और सावन में वार्षिक भंडारा लगाया जाता है।

तैयारियां

प्रतिदिन सुबह पुजारी स्वामी हरिवन दास और समाजसेवक राजिदर कुमार छोटू साज-सज्जा करते हैं। सूर्योदय होते ही गौसेवा शुरू हो जाती है और लोग भी शिव पूजा और गौसेवा करके जीवन को शिवमय और धन्य बनाते हैं। भगवान आशुतोष शिवजी के सर्वाधिक प्रिय महीने सावन का आगमन हो चुका है और तड़के शिवभक्त बेलपत्र, दूध, धूप, जल, पुष्प, फल आदि लेकर आते हैं और श्रद्धा से शिव महिमा गाते हुए भोले को रिझाते हैं। सारा दिन ं शिव पूजा-पूजन का दौर चलता रहता है। राजिदर कुमार छोटू का कहना है कि सावन और महाशिवरात्रि को शिवजी की पूजा के अनंत लाभ हैं। जीवन में सुख और एश्वर्य की प्राप्ति होती है। भगवान शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और वह भोले व भंडारी भी हैं।

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