नवरात्र से हिदू नववर्ष विक्रमी संवत 2078 का शुभारंभ : महंत राज गिरी

हिदू नववर्ष 2078 की शुरुआत 13 अप्रैल पहले नवरात्र से होगी। विक्रमीसंवत अत्यंत प्राचीन और पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है। प्रति वर्ष विक्रमी संवत का नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 04:18 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 05:30 AM (IST)
नवरात्र से हिदू नववर्ष विक्रमी संवत 2078 का शुभारंभ : महंत राज गिरी
नवरात्र से हिदू नववर्ष विक्रमी संवत 2078 का शुभारंभ : महंत राज गिरी

सरोज बाला, दातारपुर

हिदू नववर्ष 2078 की शुरुआत 13 अप्रैल पहले नवरात्र से होगी। विक्रमीसंवत अत्यंत प्राचीन और पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है। प्रति वर्ष विक्रमी संवत का नया साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है। दैनिक जागरण के साथ चर्चा करते हुए मां कामाक्षी दरबार के महंत राज गिरी, आध्यात्मिक विभूति राजिद्र सिंह जिदा बाबा, शास्त्रों के ज्ञाता वैद्य संजीव भारद्वाज व बाबा लाल दयाल सेवक संघ के रविद्र काला ने बताया, धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन की थी। भारत में छोटे बड़े ऐसे कई त्योहार हैं जिनके साथ लोगों की आस्था और अटूट विश्वास जुड़ा हुआ है। इन त्योहारों पर अलग-अलग देवी-देवताओं को पूजन होता है। इन्हीं में शामिल है गुड़ी पड़वा। इस पर्व को हिदू धर्म के नए वर्ष के आगाज के रूप में मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में ये दिन फसल उत्सव के तौर पर होता है। पूरे भारत में अलग-अलग नामों से इस त्योहार को मनाने के साथ ही अनुष्ठान भी कराया जाता है। सभी महीनों में चैत्र को बहुत पावन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसे लोग हिदू समाज के नववर्ष के रूप में मनाते हैं। सूर्य और चंद्रमा की गणना पर आधारित है विक्रम संवत

सभी ने बताया, इस बार यह पर्व 13 अप्रैल को है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान राम अयोध्या लौटे थे और उनका राज्याभिषेक हुआ था। महाभारत काल में इसी शुभ दिन पर युधिष्ठिर का भी राज्याभिषेक हुआ था। ये भी माना जाता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी। विक्रम संवत सबसे अधिक प्रासंगिक, सार्वभौमिक और वैज्ञानिक कैलेंडर है। यह सूर्य और चंद्रमा की गणना पर आधारित है। हिदू पंचांग की गणना के आधार पर यह हजारों साल पहले बता दिया था कि अमुक दिन, अमुक समय पर सूर्यग्रहण होगा। युगों बाद भी यह गणना सही और सटीक साबित हो रही है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के जिस दिन से विक्रमी संवत शुरू होता है, तो इस संवत का राजा होता है। सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करता है, तो वह संवत का मंत्री होता है। विक्रम संवत संस्कारों, पर्वों की रीढ़ माना जाता है।

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