श्रीराम ने राज्याभिषेक को छोड़ अपना लिया वनवास : महेश

पूरे विश्व के लोग श्रीराम को मर्यादा पुरषोत्तम कहते हैं क्योंकि वह पुरुष भी उत्तम थे और उनकी मर्यादाएं भी। उन्होंने मानव मात्र के लिए मर्यादा पालन का जो आदर्श प्रस्तुत किया वह संसार के इतिहास में कहीं और नहीं मिल सकता।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 04:29 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 04:59 AM (IST)
श्रीराम ने राज्याभिषेक को छोड़ अपना लिया वनवास : महेश
श्रीराम ने राज्याभिषेक को छोड़ अपना लिया वनवास : महेश

संवाद सहयोगी, दातारपुर : पूरे विश्व के लोग श्रीराम को मर्यादा पुरषोत्तम कहते हैं क्योंकि वह पुरुष भी उत्तम थे और उनकी मर्यादाएं भी। उन्होंने मानव मात्र के लिए मर्यादा पालन का जो आदर्श प्रस्तुत किया वह संसार के इतिहास में कहीं और नहीं मिल सकता। श्रीराम नवमी के अवसर पर सेंट मेरी स्कूल भटोली के एमडी महेश शर्मा ने कहा, श्रीराम ने पहला आदर्श आज्ञाकारी पुत्र के रूप में प्रस्तुत किया। रानी कैकेयी ने राज्याभिषेक से पहले ही राम को वनवास और अपने पुत्र भरत के लिए राजतिलक की मांग कर दी। दशरथ नहीं चाहते थे, परंतु पिता के वचन का पालन करने के लिए राम ने एक पल में राजपाट को त्याग दिया और वनवासी बनकर वनों को चले गए। चौदह वर्ष वन में बिताए। ऐसा आदर्श कौन प्रस्तुत कर सकता है। संसार में युद्ध और लड़ाइयां राज प्राप्ति के लिए हुई हैं, परंतु भगवान राम ने जो आदर्श प्रस्तुत किया उसकी तो कल्पना भी नहीं कर सकते। दूसरा आदर्श उन्होंने भाई का प्रस्तुत किया। भरत की माता कैकेयी ने उन्हें राजपाट के बदले वनवास दिलाया था, परंतु श्रीराम ने भरत से न ईष्र्या की और न द्वेष। वह निरंतर भरत के प्रति प्रेम प्रदर्शित करते रहे और उसे राजकाज संभालने की प्रेरणा देते रहे। तीसरा आदर्श पति का प्रस्तुत किया। उन्होंने गृहस्थ की चिता नहीं की बल्कि संपूर्ण शक्ति को राक्षसों का संहार करने के लिए लगाया। रावण ने जब सीता का अपहरण करने का दुस्साहस किया, तो भगवान श्रीराम ने इस दुष्कृत्य के लिए रावण का सर्वनाश कर दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि वह एक आदर्श राजा थे।

chat bot
आपका साथी