गुप्ता दंपति रक्तदान के लिए लोगों को कर रहे जागरूक ताकि न टूटे किसी के जीवन की डोर
सुमित गुप्ता व उनकी पत्नी राखी गुप्ता मिलकर इस काम को करते हैं और आज इनके एसोसिएशन में सैंकड़ों वालंटियर्स मौजूद हैं। जो दिन रात रक्तदान के लिए मेहनत करते हैं। खास तौर पर डेंगू के सीजन में तो पक्के तौर पर इनके सदस्य सिविल अस्पताल ब्लड बैंक में मौजूद रहते हैं ताकि किसी जरूरतमंद आए तो उसे समय रहते रक्त मुहैया करवाया जा सके।
नीरज शर्मा, होशियारपुर : बात लगभग 12 साल पहले की है, मेरे भाभी जी को डेंगू हो गया था। टेस्ट करवाया तो पता चला कि सेल काफी घट गया है। उस समय सेल सेपरेटर सिस्टम के बारे में बहुत ही कम लोगों को पता था। एकाएक परिवार में हलचल मच गई। हड़बड़ाहट में मैंने अपने कुछ साथियों से बात की तो जैसे-तैसे हमने रक्त का इंतजाम कर लिया। बस इसी दौरान मन में विचार आया कि हमारी जान पहचान होने के बावजूद ये हाल है, यदि किसी को इतनी जानकारी न हो तो क्या होगा। बस उसी दिन से मैंने रक्तदान करना शुरु कर दिया। एक के बाद एक अपने दोस्तों को भी इसके लिए प्रेरित किया और कुछ ही दिनों में रक्तदान के लिए सोसायटी तैयार कर दी। लक्ष्य एक ही है कि कोई रक्त की कमी से दम न तोड़े। यह कहना है दि ब्लड एसोसिएशन के संस्थापक सुमित गुप्ता का। सुमित गुप्ता व उनकी पत्नी राखी गुप्ता मिलकर इस काम को करते हैं और आज इनके एसोसिएशन में सैंकड़ों वालंटियर्स मौजूद हैं। जो दिन रात रक्तदान के लिए मेहनत करते हैं। खास तौर पर डेंगू के सीजन में तो पक्के तौर पर इनके सदस्य सिविल अस्पताल ब्लड बैंक में मौजूद रहते हैं, ताकि किसी जरूरतमंद आए तो उसे समय रहते रक्त मुहैया करवाया जा सके। पत्नी के सहयोग से ही हो सका मिशन पूरा
सुमित गुप्ता ने बताया कि उनकी पत्नी राखी गुप्ता इस काम में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। दिन हो या रात, बरसात हो, आंधी हो या तूफान हो जब भी जरुरत पड़ी उनकी पत्नी ने पीठ नहीं दिखाई। सुमित ने बताया कि आम तौर पर गृहणियों के लिए अधिक मुश्किल होती है, चूंकि कई बार रात के दो बजे भी रक्तदान के लिए काल आ जाती है। ऐसे में राखी के चेहरे पर आज तक शिकन नहीं दिखाई दी। जब भी किसी जरूरतमंद का काल आया वह पूरे जोश से उनके साथ तैयार हो जाती हैं। रक्तदान करने वालों को जानकारी देना, पूरा इंतजाम करने के साथ-साथ कई बार रक्तदान करने वालों को घर से लाना भी पड़ता है। ऐसे में राखी ने कभी सवाल नहीं किया। वह खुद भी कई बार रक्तदान कर चुकी हैं।
शादी की वर्षगांठ पर जरुर करते हैं रक्तदान
सुमित गुप्ता ने बताया कि एसोसिएशन बनाने के बाद जब भी काल आती थी तो वह रक्तदान करते थे। इस दौरान उनकी पत्नी ने शादी की वर्षगांठ के दिन रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि वह अब तक 25 बार रक्तदान कर चुके हैं लेकिन पिछले सात साल से हर साल शादी की वर्षगांठ पर दोनों रक्तदान जरुर करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके इस संकल्प को देखकर एसोसिएशन से जुड़े और भी दंपति शादी की वर्षगांठ पर रक्तदान जरुर करते हैं। उन्होंने बताया कि अब उनकी एसोसिएशन की कुछ ईकाइयां जिला के अलग अलग ग्रामीण इलाकों में भी बनाई गई हैं, जहां पर समय समय पर रक्तदान कैंप लगाकर रक्त एकत्रित किया जाता है। 30 दिनों में दे चुके हैं 300 यूनिट रक्त
डेंगू अपने चरम पर है, जिससे रक्त की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ रही है। इसको ध्यान में रखते हुए एसोसिएशन द्वारा जहां गांवों में कैंप लगाए जा रहे हैं वहीं स्थानीय वालटियर्स भी तैयार रखे गए हैं। पिछले 30 दिनों में एसोसिएशन 300 यूनिट रक्तदान कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में जो कैंप लगाए जा रहे हैं, उन कैंपों में एकत्रित किया गया रक्त ब्लड बैंक में स्टोर किया जाता है। चूंकि डेंगू के लिए ताजा रक्त की जरुरत होती है, इसलिए लोकल वालंटियर्स को तैयार रखा जाता है। ताकि जब भी काल आए वालंटियर्स मौके पर पहुंच कर रक्तदान कर सकें।