सच्चे मन से जाएं भगवान की शरण में : अमृत गिरी

एतिहासिक शिव मंदिर पौंग बांध के स्वामी अमृत गिरी जी महाराज ने प्रवचन किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 03:17 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 05:49 PM (IST)
सच्चे मन से जाएं भगवान की शरण में : अमृत गिरी
सच्चे मन से जाएं भगवान की शरण में : अमृत गिरी

संवाद सहयोगी, दातारपुर :

एतिहासिक शिव मंदिर पौंग बांध के स्वामी अमृत गिरी जी महाराज ने रविवार श्रद्धालुओं को प्रभु चरणों से जोड़ा। उन्होंने कहा सच्चे मन से शरणागत हुए भक्त के भावों को प्रभु सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा भगवान इतने दयालु हैं कि पूर्ण रूप से शरणागति के भावों को वे भी समझते हैं। भक्तों में लोकरंजन और दिखावा होता है। इस कारण वह सच्चे मन से प्रभु के सामने शरणागत नहीं हो पाते हैं। जीवों पर कृपा तो भगवान हमेशा करते हैं। लोग दिखावे में फंसे होने के कारण ठीक से शरणागत ही नहीं हो पाते हैं। अमृत गिरी जी ने कहा भगवान श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन को गीता का उपदेश देते समय में बताया कि चार प्रकार के लोग शरणागत नहीं हो पाते।पहले तो वे हैं, जो भगवान को नहीं जानते। दूसरे वे हैं, जो हमेशा बुराई किया करते हैं। तीसरे वे लोग हैं, जो भगवान को जानते और मानते हैं, मगर शरण में नहीं जाना चाहते और चौथे वे लोग होते हैं, जो असुर प्रवृत्ति के होते हैं। इन चारों में कुछ लोग नराधम होते हैं, जो भगवान को जानते तो हैं, मगर उनकी शरण में सच्चे मन से जाना नहीं चाहते। कुछ लोग भगवान से मन से शरणगति का रिश्ता नहीं जोड़ पाते। इस कारण वे मन से शरण में जाने का काम नहीं करते। भगवान को अपना बनाने के लिए उनके चरणों में मन को सरेंडर करना पड़ता है।

शरीर से चाहे चारों धाम घूम आएं, लेकिन अगर मन भगवान के चरणों में समर्पित नहीं है, तो चारों धाम घूमने का भी कोई फल नहीं मिलता। इसलिए भक्त को चाहिए कि मन से शरणागत हो, तभी प्रभु की कृपा होगी। शरणागति के तीन भाव उन्होंने कहा शरणागति के लिए भक्त में सरलता का भाव होना चाहिए। हृदय छल-कपट के प्रभाव से मुक्त हो। भक्ति में दिखावा और प्रपंच नहीं होना चाहिए। इन तीनों भावों से उन्मुख हो भक्त अगर भगवान के सामने शरणागत होता है, तो उस पर प्रभु की कृपा अवश्य होती है। वहीं तमाम साधनों के बाद भी अगर अहंकार का अंश हो तो शरणागति में बाधा के भाव उत्पन्न होते हैं।

chat bot
आपका साथी