फायर ब्रिगेड में स्टाफ का टोटा, कैसे होगी आग से लोगों की सुरक्षा
गेहूं की फसल पक कर तैयार है जल्द ही कटाई भी शुरू हो जाएगी। कटने से पहले पकी फसल के लिए आग की छोटी सी चिंगारी घातक साबित हो सकती है।
नीरज शर्मा, होशियारपुर
गेहूं की फसल पक कर तैयार है जल्द ही कटाई भी शुरू हो जाएगी। कटने से पहले पकी फसल के लिए आग की छोटी सी चिंगारी घातक साबित हो सकती है। आग चंद मिनटों में महीनों की मेहनत जलकर राख कर देती है। ऐसे इस संकट की घड़ी में किसानों का मददगार होती फायर बिग्रेड। लेकिन हालात यह है कि फायर ब्रिगेड खुद सहारे की तलाश में हैं। चूंकि पिछले लंबे समय से होशियारपुर के फायर ब्रिगेड के बेड़े में कर्मचारियों की खासी कमी है। विभाग में कर्मचारियों की खासी कमी है और हालात यह हैं कि आगजनी की यदि एक से अधिक घटनाएं हो जाए पीछे दफ्तर में फोन उठाने वाला नहीं बचता। और कई बार तो बाहर दुकानदारों की ड्यूटी लगाकर यह फायर कर्मी स्पाट पर निकलते हैं।
फायरब्रिगेड का इलाका 40 किलोमीटर दूर गढ़शंकर से लेकर करीब 60 किलोमीटर दूर मुकेरियां तक है। गढ़शंकर से लेकर मुकेरियां तक जिले की दूरी 100 किलोमीटर पहुंच जाती है। कहीं पर भी आग लगने की सूरत में इन्हीं को ही बुलाया जाता है। हालांकि अब दसूहा में भी स्टेशन शुरू किया गया है परंतु अभी भी काफी काम होशियारपुर से ही चलता है जिसके चलते होशियारपुर स्टेशन पर अतिरिक्त भार रहता है। संकरी गलियों में आग की घटनाओं से निपटने के लिए मंगाई गई दो बाइक भी अभी तक खड़ी होकर फायरब्रिगेड दफ्तर की ही शोभा बनीं हुई हैं, क्योंकि इन्हें सही ढंग से चलाने के लिए अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। उसके हिसाब से उपलब्ध करवाई गई फायर गाड़ियों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है। इसके ऊपर भी जले पर नमक छिड़कने का काम करता है फायर ब्रिगेड में स्टाफ की कमी। लोगों को चौबीस घंटे सेवाएं देने के लिए मुलाजिमों का टोटा है। कम स्टाफ से कहीं पर आग लगने पर फायर ब्रिगेड दस्ता पानी डालने का काम कैसे करेगा। दीपावली व खास तौर इस सीजन में जब खेतों में फसल पककर तैयार होती है में काम और भी बढ़ जाता है। चूंकि थोड़ी सी भी देरी, बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। ---- गाड़ियां पूरी पर गाड़ियों के लिए स्टाफ है अधूरा
फायर ब्रिगेड होशियारपुर के बेड़े में छह बड़ी गाड़ियां और दो छोटी गाड़ियां हैं। मुलाजिम अमले के नाम पर दो लीडिग फायरमैन समेत 12 फायरमैन हैं। 12 फायरमैन कच्चे तौर पर रखे गए हैं। ड्राइवर चार पक्के और चार कच्चे हैं। लीडिग फायरमैन की सभी पोस्टें खाली हैं। सब फायर अफसर की चार में से तीन पोस्टें खाली हैं। तहकीकात करने पर मालूम पड़ा कि फायर ब्रिगेड दस्ता चौबीस घंटे तीन शिफ्टों में चलाया जाता है। ऐसे में मुलाजिमों की कमी खूब खलती है। क्योंकि छह गाड़ियों की स्टेयरिग थामने वाले आठ ड्राइवर नाकाफी हैं। जबकि हर वक्त इन गाड़ियों पर मुस्तैद रहने के लिए एक शिफ्ट में ही पांच ड्राइवरों की आवश्यकता होती है। जरूरत के हिसाब से कम से कम 15 ड्राइवरों की जरूरत है। स्टाफ की कमी के चलते कहीं पर ज्यादा गाड़ियों की डिमांड होने पर ड्राइवरों को घरों से फोन करके बुलाया जाता है। एक फायर ब्रिगेड दस्ते के साथ एक शिफ्ट में तीन फायरमैन की जरूरत होती है। चार गाड़ियों के लिए एक शिफ्ट में 12 फायरमैनों की तैनाती होनी चाहिए। तीनों शिफ्टों को मेंटेन करने के लिए कम से कम 36 से 40 फायरमैन होने चाहिए। लीडिंग फायरमैन व सब फायर अफसरों की भी कमी खलती है।
---- जल्द होगा समस्या का हल
फायर अफसर विनोद कुमार ने बताया कि इस संबंध में आला अधिकारियों को बताया जाता रहा है और आने वाले दिनों में उम्मीद है कि यह पद भरे जाएंगे। चूंकि कुछ दिन पहले ही सरकार ने इस संबंधी कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार ने 14 फायरमैन व 7 ड्राइवरों के पदों को भरने संबंधी नोटिफिकेशन जारी किया है।