पराली को बिना जलाए बिजाई कर रहे ब्लाक माहिलपुर के किसान

धान की पराली को आग न लगाने से रोकने के लिए कृषि लगातार कर रहा प्रयास।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 05:52 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 05:52 PM (IST)
पराली को बिना जलाए बिजाई कर रहे ब्लाक माहिलपुर के किसान
पराली को बिना जलाए बिजाई कर रहे ब्लाक माहिलपुर के किसान

जागरण टीम, होशियारपुर : धान की पराली को आग न लगाने से रोकने के लिए कृषि व किसान कल्याण विभाग के सहयोग से जिले के किसानों ने नई कृषि तकनीकों को अपनाते हुए जागरूक होने का सबूत दिया है। पराली को बिना आग लगाए उसका खेतों में सही प्रबंधन करना सराहनीय है। पराली का खेतों में सही प्रबंधन करने में ब्लाक माहिलपुर के किसान अग्रणीय है, जो कि कृषि मशीनरी के सहयोग से इस तकनीक को अपनाते हुए अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।

इस बारे में डीसी अपनीत रियात ने किसानों को पराली को आग न लगाने व उपलब्ध मशीनरी व तकनीक के माध्यम से इसका योग्य प्रबंध कर वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने व जमीन के स्वास्थ्य को बरकरार रखने में योगदान देने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि कृषि व किसान भलाई विभाग किसानों को पराली के प्रबंधन संबंधी कृषि मशीनरी पर सब्सिडी भी मुहैया करवा रहा है। उन्होंने बताया कि ब्लाक माहिलपुर के किसानों के खेतों में पराली संभालने संबंधी तकनीकें प्रदर्शित की गई थी, जिसके बाद ब्लाक माहिलपुर के कुछ प्रगतिशील किसानों ने धान की पराली का सुचारू प्रयोग कर मिसाल पैदा कर अन्य किसानों को भी प्रेरित किा है। सुपर एसएमएस कंबाइन का लाभ बताया

गांव कोटला के किसान रविदर सिंह व उनके भाई नरिदर सिंह ने प्रकृतिक को बचाओ तकनीके अपनाने वाले प्रगतिशील किसान हैं, यह किसान कृषि व किसान भलाई विभाग के सहयोग से पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की फसलों के अवशेष तकनीक को अपना रहे हैं। इन्होंने धान की कटाई सुपर एसएमएस कंबाइन से की थी, जोकि कंबाइन के पीछे गिरने वाली पराली को कतर कर इसको एकसार खेत में बिखेरती है। रबी 2020 के दौरान 100 एकड़ रकबे पर धान की पराली को बिना आग लगाए गेंहू की सीधी बिजाई हैप्पी सीडर से की है। रविदर सिंह ने बताया कि इस विधि से गेहूं की बिजाई समय पर होती है व वातावरण भी प्रदूषित होने से बचता है। बिजाई से पहले पानी की बचत होती है, क्योंकि धान की फसल कटने के बाद पानी लगाने के बिना गेहूं की बिजाई हैप्पी रीडर से संभव है। नदीनों की समस्या भी हैप्पी सीडर वाले खेतों में कम होती है। उन्होंने बताया कि कुछ खेतों में नदीन प्रबंध के लिए सिफारिश तकनीकों के माध्यम से नदीन नाशक का प्रयोग कर उगे नदीनों की रोकथाम की गई।

कई गांवों में की गई सीधी बिजाई

इसी तरह गांव कोटला के अन्य किसान दलेर सिंह ने भी रबी 2020 के दौरान धान की पराली में गेहूं की सीधी बिजाई 70 एकड़ में सफलतापूर्वक की है। उन्होंने सुपर एसएमएस कंबाइन से धान की कटाई की, जिससे हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई आसानी से की। हैप्पी सीडर तकनीक विधि से गेहूं की बिजाई से होने वाले जैसे कि बहाई के खर्चे का बचना व नदीनों की कम समस्या के मनोरथ ने दलेर सिंह को इस विधि की ओर से प्रेरित किया। दलेर सिंह ने बताया कि शुरुआत में हैप्पी सीडर की बिजाई से गेहूं की बिजाई को देख कर उसके साथ किसान आलोचना करते थे, परंतु धान की पराली में गेहूं की पैदावार को देख कर आलोचना करने वाले किसानों ने संतुष्टि प्रकट की व इस विधि को अपनाने लिए आगे आए। खेत में उगे नदीनों की रोकथाम के लिए उन्होंने सिफारिश तकनीकों का प्रयोग किया। दलेर सिंह पीएयू की धान व गेहूं की सिफारिश किस्मों की काश्त करता है। गुजरपुर में ड्रिल मशीन से करवाई मटर की बिजाई

गुजरपुर के किसान सुखजिदर सिंह ने धान की पराली को आग लगने से होने वाले नुकसान को जानते हुए धान की पराली को जमीन में मिलाने का तरीका चुना। रबी 2020 के दौरान पराली चौपर की मदद से इस किसान ने 7 एकड़ रकबे में धान की पराली को कतर कर रोटावेटर व तत्वों की मदद से जमीन में मिलाया व इसके ड्रिल से मटर की सफल बिजाई की अच्छा झाड़ प्राप्त किया। यह किसान कृषि संबंधी नई तकनीकों के बारे में कृषि माहिरों से विचार विमर्श करता है व दूसरे किसानों तक भी यह तकनीके सांझी करता है।

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