पराली का उचित प्रबंधन कर कृषि को नई दिशा दे रहे हैं सुखप्रीत

जिले के ब्लाक भूंगा के गांव ख्याला बुलंदा के प्रगतिशील किसान सुखप्रीत सिंह पिछले पांच वर्षों से पराली को जलाने के स्थान पर उसका खेतों में ही उचित प्रबंधन कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 05:23 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 05:23 PM (IST)
पराली का उचित प्रबंधन कर कृषि को नई दिशा दे रहे हैं सुखप्रीत
पराली का उचित प्रबंधन कर कृषि को नई दिशा दे रहे हैं सुखप्रीत

जागरण टीम, होशियारपुर : जिले के ब्लाक भूंगा के गांव ख्याला बुलंदा के प्रगतिशील किसान सुखप्रीत सिंह पिछले पांच वर्षों से पराली को जलाने के स्थान पर उसका खेतों में ही उचित प्रबंधन कर रहे हैं। वह दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। सुखप्रीत गांव में 80 एकड़ में खेती करते हैं, जिसमें करीब 18 एकड़ में गेहूं व धान की बिजाई व बाकी जमीन पर मटर व सरसों की बिजाई करते हैं। सुखप्रीत ने बताया कि वह अन्य किसानों के खेतों में पराली की संभाल में भी योगदान दे रहे हैं। साथ ही मल्चर, सुपरसीडर आदि मशीनरी किसानों को किराए पर भी दे रहे हैं। उन्होंने पिछले वर्ष 160 एकड़ में सुपरसीडर से पराली को खेतों में मिलाया था। सुखप्रीत के अनुसार सुपरसीडर से बिना बहाई किए गेहूं की बिजाई बहुत ही आसानी से कम लागत में हो जाती है, जिससे समय व पैसे की बचत बड़ी आसानी से हो जाती है। पराली जमीन में मिलाने से जमीन मुलायम हो जाती है व जैविक तत्वों में वृद्धि होती है। इस तकनीक से खेतों में नदीनों की समस्या नाममात्र के बराबर देखने को मिलती है व नदीन-नाशक का खर्चा भी बहुत कम होता है। सुखप्रीत ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौर में पराली न जलाकर खेतों में उसके संभाल से जहां वातावरण प्रदूषण कम किया जा सकता है, वहीं महामारी से बचाव में भी योगदान दिया जा सकता है। उन्होंने किसानों को संदेश देते हुए कहा कि पराली को जमीन में संभालने से हमारा बहुत लाभ होता है व वातावरण भी साफ रहता है। इसलिए किसानों को पराली को खेतों में आग लगाने के स्थान पर खेतों में उसके उचित प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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