आप का दामन थामने का इरादा किया जाहिर
आम का दामन थामन चाहते हैं परमजीत सचदेवा हजारी लाल होशियारपुर राजनीति से संन्यास ले चुके आप दोआबा जोन के पूर्व प्रधान परमजी
हजारी लाल, होशियारपुर :
राजनीति से संन्यास ले चुके आप दोआबा जोन के पूर्व प्रधान परमजीत सचदेवा ने फिर से राजनीतिक पारी खेलने के संकेत दिए हैं। उन्हें वक्त का इंतजार है। सही समय पर पाले में गेंद आने पर वह किक मारने की फिराक में हैं। हालांकि अब भी सचदेवा ने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह किसी राजनीतिक पारी खेलते हैं, तो किस पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन उनकी बातों से साफ लगा कि झाड़ू ही थामेंगे। उल्लेखनीय है कि समाजसेवा से जुड़े परमजीत सचदेवा ने विधानसभा 2017 से चुनाव से पहले आप में शामिल होकर राजनीति का आगाज किया था। विधानसभा क्षेत्र होशियारपुर से सचदेवा ने आप की टिकट पर चुनाव लड़ा था, पर उन्हें सफलता नहीं मिली थी।
विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद सचदेवा ने राजनीति से संन्यास का ऐलान करके सभी को चौंका दिया था। इसके बाद उन्होंने राजनीतिक गतिविधि बंद कर दी थी। वह हमेशा ही यही कहते रहें कि अब वह राजनीति में नहीं आएंगे। राजनीतिक गलियारों में फिर से चर्चा छिड़ी है कि सचदेवा फिर से राजनीति में कूद सकते हैं।
इसी अटकलों को लेकर दैनिक जागरण ने सचदेवा से सवाल दागे। राजनीति में फिर कूदने के पूछने पर उन्होंने कहा कि राजनीति में वापसी कर सकते हैं और नहीं भी कर सकते हैं। जबकि इससे पहले सचदेवा राजनीति में आने से न करते रहे हैं। इससे साफ संकेत मिला कि वह राजनीति में आने का मन बना रहे हैं। अगर ऐसा होने पर कौन सी पार्टी में शामिल होकर राजनीतिक बिसात बिछाएंगे, के सवाल पर उन्होंने किसी पार्टी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इतना जरुर कहा कि आज भी आम आदमी पार्टी को ही अपना आदर्श मानते हैं। मसलन कि कुछ न बोलकर भी साफ कर दिया कि राजनीति में शामिल हुए तो आप की झाड़ू ही पकड़ेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह और भी कई राजनीतिक दलों से उन्हें आफर मिली है, लेकिन उन्होंने कोई रिस्पांस नहीं दिया। सचदेवा ने यह भी साफ किया कि अगर वह राजनीति में नहीं कूदते हैं तो पर्दे के पीछे से आप का समर्थन करेंगे। उनका इतना ही इशारा समझने वालों के लिए काफी है कि सचदेवा का निशाना क्या है। जब उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने राजनीति से संन्यास क्यों लिया था, तो इस पर किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इतना जरुर कहा कि उन दिनों आप में गुटबाजी से आहत होकर फैसला लिया था।