पहले नवरात्र पर विधिपूर्वक करें कलश स्थापना : जिदा बाबा
पावन पर्व नवरात्र में दुर्गा मां के नव रूपों की पूजा नौ दिन तक चलती है। नवरात्र के आरंभ में प्रतिपदा तिथि को उत्तम मुहुर्त में कलश या घट की स्थापना की जाती है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : पावन पर्व नवरात्र में दुर्गा मां के नव रूपों की पूजा नौ दिन तक चलती है। नवरात्र के आरंभ में प्रतिपदा तिथि को उत्तम मुहुर्त में कलश या घट की स्थापना की जाती है। दलवाली के मां दुर्गा मंदिर में आध्यात्मिक विभूति राजिद्र सिंह जिदा बाबा ने उक्त चर्चा करते हुए बताया कि कलश को भगवान गणेश का रूप माना जाता है, जोकि किसी भी पूजा में सबसे पहले पूजनीय है इसलिए सर्वप्रथम घट रूप में गणेश जी को बैठाया जाता है।
महर्षि वेद व्यास ने भविष्य पुराण में बताया है कि कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से शुद्ध किया जाना चाहिए। इसके बाद लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल गणेश भगवान को याद करते हुए रख देने चाहिए। फिर जिस कलश को स्थापित करना है उसमें मिट्टी भरके और पानी डालकर जौ बो देना चाहिए। इसी कलश पर रोली से स्वास्तिक और ॐ बनाकर मुख पर मौली से रक्षासूत्र बांध दें। कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रख दें और फिर कलश के मुख को ढक्कन से ढंक दें। ढक्कन को चावल से भर दें। पास में ही एक नारियल जिसे माता की चुनरी से लपेटकर रक्षासूत्र से बांध देना चाहिए। जिदा बाबा ने कहा, इस नारियल को कलश का ढक्कन रखें और सभी देवी देवताओं का आहवान करें। अंत में दीपक जलाकर कलश की पूजा करें व कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ा दें। अब हर दिन नवरात्र में इसी तरह कलश की पूजा करें।