जन औषधि केंद्र व डिस्पेंसरी बंद होने से मरीजों के तीमारदार परेशान

सरकार चाहे लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के लाख दावे करे लेकिन जमीन हकीकत कुछ और भी बयां कर रही है। हालात यह हैं कि रविवार को अस्पताल में पहुंचने वाले मरीज भगवान भरोसे होते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 05:03 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 06:30 AM (IST)
जन औषधि केंद्र व डिस्पेंसरी बंद होने से मरीजों के तीमारदार परेशान
जन औषधि केंद्र व डिस्पेंसरी बंद होने से मरीजों के तीमारदार परेशान

नीरज शर्मा, होशियारपुर

सरकार चाहे लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के लाख दावे करे लेकिन जमीन हकीकत कुछ और भी बयां कर रही है। हालात यह हैं कि रविवार को अस्पताल में पहुंचने वाले मरीज भगवान भरोसे होते हैं। इमरजेंसी के नाम पर केवल जांच व चंद मेडिसन ही मुहैया होती हैं। यदि दवाई की जरूरत पड़ जाए तो मजबूरी में लोगों को जेब ढीली करनी पड़ती हैं क्योंकि न तो सरकारी डिस्पेंसरी खुली होती है और न ही जन औषधि केंद्र। इसके चलते लोगों को अस्पताल के बाहर बनी केमिस्ट की दुकानों की तरफ रुख करना पड़ता है। यह सरासर जरूरतमंद मरीजों के साथ धक्केशाही है। सिविल अस्पताल में ज्यादातर वही मरीज पहुंचते हैं जो प्राइवेट अस्पतालों का खर्च नहीं उठा सकते पर अफसोस उन्हें वहां पर भी परेशानी उठानी पड़ रही है। दवा के लिए पैसों का दर्द और बढ़ रहा है। ऐसा सिर्फ केवल संडे को नहीं, बल्कि अन्य दिनों में भी होता है जब डाक्टर अंदर की दवाई छोड़कर बाहर की लिख देते हैं। हालांकि सरकार के मुताबिक सिविल अस्पतालों में दो सौ से अधिक दवाइयां मुफ्त मिलती है। इसके बावजूद डाक्टर मेडिसन किसी और कंपनी की लिखकर दे रहे हैं। इस वजह से लोग चाहकर भी डिस्पेंसरी का लाभ नहीं ले सकते।

पति बीमार है, बाहर से दवाई लेने जा रही हूं

मलियां से शनिवार को पति को लेकर सिविल अस्पताल पहुंची कमलजीत कौर ने बताया कि कुछ दवाइयां अंदर से मिल गई थीं परंतु आज दवाई उसे बाहर से ही लानी पड़ेगी क्योंकि डिस्पेंसरी बंद है। सरकार को चाहिए कि दवाई की सुविधा के लिए रविवार को भी डिस्पेंसरी खुली रखी जाए।

बुरा हाल पर मजबूरी है

अस्पताल में भतीजे के साथ आए बलदेव राम वासी भून्नों ने बताया कि भतीजे का झगड़ा हो गया था। पहले दो दिन वह माहिलपुर में दाखिल था। इसके बाद सिविल अस्पताल भेजा गया है। यहां पर ज्यादातर दवाइयां बाहर से आई हैं। कारण, डिस्पेंसरी बंद थी और मजबूरी में बोझ उठाना पड़ा।

कुछ दवाएं ही अस्पताल से मिली

गुरजीत जोकि पत्नी को लेकर नंदाचौर से आया था ने बताया कि वह मिस्त्री का काम करता है। पत्नी की डिलीवरी थी इसलिए उसे सरकारी अस्पताल में ले आए लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। आधे से अधिक दवाई बाहर से लानी पड़ी। आज तो वैसे ही डिस्पेंसरी बंद है लेकिन जब खुली थी तो भी कोई फायदा नहीं हुआ।

पत्नी की डिलीवरी के लिए दवा को भटक रहा हूं

अस्पताल में डिलीवरी के लिए पत्नी को लेकर आए नागेन्दर ने बताया कि बाहर की दुकानों से दवाई ले रहा है, डिस्पेंसरी बंद है। उसे वेतन भी बहुत कम मिलता है। ईएसआइ से रेफर इसलिए किया गया था ताकि निश्शुल्क उपचार मिल सके, पर सुबह से दो बार अस्पताल से बाहर की दुकानों से दवाई ला चुका हूं। डिस्पेंसरी का तो फायदा नहीं मिल रहा।

जल्द किया जाएगा समस्या का हल : सिविल सर्जन

इस संबंध में सिविल सर्जन रणजीत सिंह घोतड़ा ने कहा कि डिस्पेंसरी केवल ओपीडी के लिए है, फिर भी समस्या का कुछ हल किया जाएगा। रही बात जन औषधि केंद्र की तो वह इस संबंधी रेडक्रास सोसायटी से बात करेंगे ताकि रविवार को भी इसे खोला जा सके और लोगों को लाभ मिल पाए।

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