देवशयनी एकादशी व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं: महंत जी

संवाद सहयोगी दातारपुर देवशयनी एकादश आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 10:43 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 10:43 PM (IST)
देवशयनी एकादशी व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं: महंत जी
देवशयनी एकादशी व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं: महंत जी

संवाद सहयोगी, दातारपुर:

देवशयनी एकादश आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। इस मौके पर मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में तपोमूर्ति महंत राज गिरी जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को कहा कि इसे हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म शास्त्रो में उल्लेख मिलता है कि इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए बलि के द्वार पर पाताल लोक में निवास करते हैं और कार्तिक महीने में आने वाली शुक्ल एकादशी को लौटते हैं। इसी दिन से चौमासे या चातुर्मास का भी आरंभ माना जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं। इसी कारण एकादशी को हरिशयनी एकादशी तथा कार्तिक शुक्ल एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। महंत जी ने कहा इन चार महीनों में भगवान विष्णु के क्षीरसागर में शयन करने के कारण विवाह आदि कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। धार्मिक ²ष्टि से यह चार मास भगवान विष्णु का निद्रा काल माना जाता है। इन दिनों तपस्वी भ्रमण नहीं करते, वे एक ही स्थान पर रहकर तपस्या (चातुर्मास) करते हैं। इन दिनों केवल ब्रज की यात्रा ही की जा सकती है, क्योंकि इन चार महीनों में भूमंडल (पृथ्वी) के समस्त तीर्थ ब्रज में आकर निवास करते हैं। ब्रह्म वैवर्त पुराण में इस एकादशी का विशेष महात्म्य लिखा है। इस व्रत को करने से प्राणी की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, सभी पाप नष्ट होते हैं तथा भगवान हृषीकेश प्रसन्न होते हैं। इस अवसर पर राजिद्र मेहता, डा. रविद्र सिंह, रमन गोल्डी, अजय शास्त्री, सुदर्शन ऐरी उपस्थित थे।

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