पौंग बांध में दो महीने तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध

पौंग बांध स्थित महाराणा प्रताप सागर झील में मछली पकड़ने (फिशिंग) पर दो महीने तक यानी 15 अगस्त तक प्रतिबंध है। हर साल दो महीने के लिए फिशिंग प्रतिबंधित रहती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 04:31 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 08:24 AM (IST)
पौंग बांध में दो महीने तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध
पौंग बांध में दो महीने तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध

संवाद सहयोगी, दातारपुर : पौंग बांध स्थित महाराणा प्रताप सागर झील में मछली पकड़ने (फिशिंग) पर दो महीने तक यानी 15 अगस्त तक प्रतिबंध है। हर साल दो महीने के लिए फिशिंग प्रतिबंधित रहती है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि इन दिनों मछलियां अपनी वंश वृद्धि के लिए प्रजनन करती हैं। प्रतिबंध लगने से 1400 मछुआरों का दो महीने तक काम चौपट रहेगा। मत्स्य विभाग के अनुसार करीब 25 हजार हेक्टेयर में स्थित झील 300 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। पिछले सीजन में यहां 3410 क्विंटल मछली उत्पादन हुआ था। इस साल भी कई लाख बीज डाले गए हैं।

नजर रखने के लिए 18 टीमें गठित

मत्स्य विभाग के निदेशक सतपाल मेहता ने बताया कि मछलियों के प्रजनन के दौरान दो महीने तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अवैध मछली पकड़ने को रोकने के लिए 18 टीमों का गठन किया गया है, जो पौंग बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में नजर रखेंगी। अगर कोई फिशिंग करता हुआ पकड़ा गया तो जुर्माना व सजा का प्रावधान है।

झील में यह मिलती हैं प्रजातियां

पौंग झील में महशीर, सिघाड़ा, राहू, कतला आदि मछलियां प्रमुख तौैर पर मिलती है। इनके अलावा मरीगल, मली, कुलवंश भी होती है। सिघाड़ा यहां पाई जाने वाली प्रमुख मछली है। इसकी तादात 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है। राहू दूसरे व कतला तीसरे क्रम पर है। पौंग में पाई जाने वाली सिघाड़ा बड़ी स्वादिष्ट होती है। इसकी खासियत यह है कि इसमें कांटे न के बराबर होते है इसलिए सिघाड़ा की पंजाब में भारी मांग है।

दूर-दूर से आते हैं लोग

गांव खटियाड़ में मछली को पका कर बेचने वाली दर्जन भर दुकानें है। यह जगह इतनी प्रसिद्ध हो गई है कि होशियारपुर, गुरदासपुर, जालंधर, अमृतसर के लोग यहां गाड़ियों में आते है। यहां आए बटाला के सुरेंद्र, गुरनाम, बलविदर व सुभाष ने बताया कि सिघाड़ा का स्वाद लेने व पौंग बांध को देखने के लिए पहुंचे हैं।

मछली पकड़ने की होती है प्रतियोगिता

पौंग बांध में मछली पकड़ने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। इस सीजन में भी लाखों मछली बीज डाले जा रहे हैं ताकि मछली उत्पादन बढ़े व मछुआरों को लाभ प्राप्त हो।

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