100वें स्थापना दिवस पर बाहगा बंधुओं ने खालसा स्कूल कइतिहास को दर्शाती पुस्तक की जारी

होशियारपुर के कस्बा गढ़दीवाला में स्थित खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल के 100वें स्थापना दिवस के अवसर पर स्कूल के पूर्व छात्रों सर्बजीत बाहगा और सुरेंद्र बाहगा ने इस पल को यादगार बनाने के लिए ए 100 ईयर्स जर्नी-सेंटेनेरी सेलिब्रेशंस नामक पुस्तक का संकलन कर स्कूल को समर्पित किया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 Oct 2021 10:27 PM (IST) Updated:Sat, 30 Oct 2021 10:27 PM (IST)
100वें स्थापना दिवस पर बाहगा बंधुओं ने खालसा स्कूल कइतिहास को दर्शाती पुस्तक की जारी
100वें स्थापना दिवस पर बाहगा बंधुओं ने खालसा स्कूल कइतिहास को दर्शाती पुस्तक की जारी

संवाद सहयोगी, गढ़दीवाला : होशियारपुर के कस्बा गढ़दीवाला में स्थित खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल के 100वें स्थापना दिवस के अवसर पर स्कूल के पूर्व छात्रों सर्बजीत बाहगा और सुरेंद्र बाहगा ने इस पल को यादगार बनाने के लिए 'ए 100 ईयर्स जर्नी-सेंटेनेरी सेलिब्रेशंस' नामक पुस्तक का संकलन कर स्कूल को समर्पित किया है। इस किताब में कुछ पूर्व छात्रों द्वारा लेखों और दुर्लभ फोटो का समावेश किया गया है। दोनों लेखकों ने स्कूल में अपनी यादों, रोमांचक पलों, अपने सम्मानित शिक्षकों को श्रृद्धांजलि और कुछ प्रसिद्ध पूर्व छात्रों का परिचय इस माध्यम के जरिए दिया है। बाहगा बंधुओं के अनुसार यह पुस्तक भावी पीढ़ी के लिए सहायक सिद्ध होगी और कई युवाओं को अपने स्कूली धरोहर को पुस्तक का रुप देने के लिए प्रोत्साहित करेगी। थिक आर्ट पेपर में 150 पन्नों की इस किताब में 80 ब्लैक एंड व्हाईट और 80 ही कलर फोटो का संग्रह है, जो स्कूल के स्वर्णिम इतिहास को दर्शाता है। स्कूल की स्मृतियों पर अधारित पुस्तक की रचना का बीड़ा बाहगा बंधुओं ने उठाया

सुरेंद्र बाहगा ने बताया कि गत वर्ष उन्हें अपने बड़े भाई सर्बजीत के साथ स्कूल के 100वें स्थापना दिवस पूरा होने पर शताब्दी समारोह आयोजित करने का ख्याल आया। यह विचार उन्होंनें अपने पूर्व छात्रों, स्कूली मित्रों, अध्यापकों और प्रबंधन के साथ सांझा किया और इस दिशा में एक समिति का गठन किया गया। स्कूल के प्रवेश द्वार को अपग्रेड, स्कूल संबंधी साहित्य की रचना, स्कूल परिसर में बाबा बंदा सिंह बहादर की प्रतिमा स्थापित करने आदि के प्रस्ताव को सिरे चढ़ाया गया और कई पूर्व छात्रों और फैकल्टी मेंबरों ने इस दिशा में दान दिया। स्कूल की स्मृतियों पर आधारित पुस्तक की रचना का बीड़ा बाहगा बंधुओं ने उठाया। स्कूल की वास्तुकला से प्रेरित हैं बाहगा बंधु

बाहगा बंधु पेशे से आर्किटेक्ट हैं और हमेशा से स्कूल की वास्तुकला से प्रेरित रहे हैं। सुरेंद्र बाहगा ने बताया कि जब वे अपने स्कूल को वास्तु की ²ष्टि से देखते हैं तो उनका सिर स्कूल के रचनाकारों के प्रति श्रृद्धा में झुक जाता है। जो न तो वास्तुकला में प्रशिक्षित थे, न ही अर्बल डिजाईनिग में, फिर भी उन्होंनें सीमित सामग्रियों के साथ बेहतरीन कैंपस को स्थापित किया। उन्होंनें बताया कि स्कूल में उम्दा कोर्टयार्ड प्लानिग, इंटरलाकिग स्क्वेयर्स, फ्लोईंग स्पेस, शेड, प्राकृतिक वेंटिलेशन, कुशल ब्रिकवर्क आदि का उत्तम समावेश देखने को मिलता है। किताब में हैं स्कूल संबंधी सारी जानकारी

स्कूल के इतिहास पर सुरेंद्र बाहगा ने बताया कि यह स्कूल क्षेत्र के पुराने स्कूलों में से एक है। जिसकी स्थापना इंडियन ब्रिटिश आर्मी के तीन रिटायर्ड कर्मियों सूबेदार शाम सिंह, सूबेदार माल सिंह और उनके एक सहयोगी द्वारा 1921 में हुई थी। गढ़दीवाला के एक रसूखदार चैधरी बूर सिंह ने अपनी लगभग 40 एकड़ भूमि स्कूल को दान की थी। जबकि कैमब्रिज और हावर्ड यूनिवर्सिटी से लौटे शिक्षाविद् तेजा सिंह ने इस स्कूल की नींव रखी थी। महान दूरदर्शी डा. एमएस रंधावा और डा. हरभजन सिंह ने अपने योगदान से स्कूल में पुस्तकालय गठित किया। इसके अलावा पुस्तक में स्कूल के कुछ प्रसिद्ध पूर्व छात्रों जैसे गुरकंवल सिंह, अवतार सिंह, चरणजीत सिंह बाहगा, हरबंस सिंह सहोता, जसविदर सिंह सहोता, राजविदर सिंह बेदी, गुलजार सिंह, तेजिदर सिंह बाहगा आदि के संक्षिप्त जीवन परिचय शामिल है। किताब में पिक्टोरियल सेक्शन जैसे 'स्कूल्स इन पिक्चर्स, ग्रुप फोटो ए फ्रोजन हिस्ट्री, स्वीट मेमोरीज आफ दी स्कूल, और सेंनटेनरी सेलिब्रेशंस आन 29-09-2021 और अन्य रोचक फीचर्स हैं। किताब के अंतिम अध्याय में गुरप्रीत सिंह धुग्गा रचित पंजाबी कविता 'यादां दी शताब्दी' में काव्य रूप में स्कूल को समेटा गया है।

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