धर्म की स्थापना के लिए होता है कृष्ण अवतार: महंत राज
मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में तपोमूर्ति महंत राज गिरी ने लीलावतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का महत्व बताया। उन्होंने कहा पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में तपोमूर्ति महंत राज गिरी ने लीलावतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का महत्व बताया। उन्होंने कहा, पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। धरती पर बढ़ रहे अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए श्री कृष्णावतार हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में हुआ था। उसी दौरान कई चमत्कार हुए थे। कृष्ण जेल से गोकुल पहुंच गए थे। द्वापर युग में मथुरा में राजा उग्रसेन का राज था, कंस उनका पुत्र था,।वह बहुत अत्याचारी था। उसने अपने पिता को सिंहासन से उतार दिया और खुद राजा बन गया व कंस ने अपने पिता को कारागार में डाल दिया। कंस की बहन का विवाह वासुदेव से हुआ था। जब बहन को विदा करने का समय आया तो कंस देवकी और वासुदेव को रथ में बैठाकर स्वयं ही रथ चलाने लगा तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का काल होगा। इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया। जब भी देवकी के कोई संतान होती तो वह उसे मार देता। इस तरह भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण ने जन्म लिया तभी से भाद्रपद मास की इस तिथि को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं।
बन रहा है विशेष संयोग
महंत ने बताया कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय चंद्रमा वृष राशि में गोचर कर रहा था। 2021 में भी कुछ इसी तरह का संयोग फिर बनने जा रहा है। चंद्रमा वृष राशि और रोहिणी नक्षत्र में रहेगा। इस अवसर पर अजय शास्त्री, डा. रविद्र सिंह, रमन गोल्डी, राजिद्र मेहता उपस्थित थे।
दो घंटे 44 मिनट तक रहेगी अष्टमी
अष्टमी तिथि प्रारंभ : सोमवार रात 11:25
समापन: 31 अगस्त सुबह 01:59
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: सोमवार सुबह 06:39
समापन : 31 अगस्त सुबह 09:44
निशित काल : सोमवार रात 11:59 से 12:44 तक
अभिजित मुहूर्त : सुबह 11:56 से रात 12:47 तक
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:32 से 06:56 तक