कृषि विज्ञान केंद्र में खेत दिवस मनाकर किसानों को तिलों की काश्त संबंधी जानकारी दी

होशियारपुर के कंडी क्षेत्र में खरीफ के दौरान तिलों की काश्त लगभग 300 हैक्टेयर रकबे में की जाती है। इस फसल को न तो ज्यादा पानी की जरुरत होती है न ही संभाल की। किसानों को तिलों की सफल काश्त संबंधी जानकारी देने और खेत प्रदर्शनियों की कारगुजारी बताने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल की ओर से गांव बिछोही में खेत दिवस का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Oct 2021 10:31 PM (IST) Updated:Tue, 05 Oct 2021 10:31 PM (IST)
कृषि विज्ञान केंद्र में खेत दिवस मनाकर किसानों को तिलों की काश्त संबंधी जानकारी दी
कृषि विज्ञान केंद्र में खेत दिवस मनाकर किसानों को तिलों की काश्त संबंधी जानकारी दी

जागरण टीम, होशियारपुर : होशियारपुर के कंडी क्षेत्र में खरीफ के दौरान तिलों की काश्त लगभग 300 हैक्टेयर रकबे में की जाती है। इस फसल को न तो ज्यादा पानी की जरुरत होती है न ही संभाल की। किसानों को तिलों की सफल काश्त संबंधी जानकारी देने और खेत प्रदर्शनियों की कारगुजारी बताने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल की ओर से गांव बिछोही में खेत दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर अलग-अलग तकनीकी लेक्चर भी आयोजित किए गए। डिप्टी डायरेक्टर (ट्रेनिग) मनिदर सिंह ने तिलों की फसल पर प्रकाश डालते हुए तिलों की सफल काश्त के ढंग, किस्म का चुनाव, बीज संशोधन, खादों का प्रयोग, नदीनों, कीड़ों व बीमारियों की रोकथाम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने रबी की फसलों गेहूं, सरसों, छोले व मसूर की काश्त के बारे में भी जरुरी बातें बताई। इस दौरान किसानों को धान की पराली को न जलाने तथा पराली संभालने के अलग-अलग तरीकों के बारे में जागरुक किया गया। सहायक प्रोफेसर (सब्जी विज्ञान) डा. सुखविदर सिंह औलख ने किसानों व किसान बहनों को मशरुम की काश्त व पौष्टिक घर बगीची के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इलाके की प्रमुख सब्जियों, मटर व आलू की काश्त के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी। सहायक प्रोफेसर (पशु विज्ञान) डा. कंवरपाल सिंह ढिल्लों ने पशुओं की मौसमी संभाल, बीमारियों व खुराक के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने पशुओं के लिए धातु का चूरा व पशु चाट ईंट की महत्ता के बारे में बताया। माहिरों ने किसानों के विचार भी सुने व उनकी शंकाओं के बारे में विस्तार से जवाब दिए। इस मौके पर किसानों की सुविधा के लिए गोभी, सरसों व प्याज के बीज, दालों व तेलबीज कीटें, सब्जियों की किटें, पशुओं के लिए धातु का चारा, पशु चाट ईंट, बाईपास फैट, मटरों व आलुओं के लिए जीवाणु खाद का टीका व खेती साहित्य भी मुहैया करवाया गया।

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