नम आंखों से लांसनायक विक्रम दत्त को किया नमन

भारतीय सेना की 235 बंगाल इंजीनियर रेजीमेंट के शहीद लांसनायक विक्रम दत्त का 14वां श्रद्धांजलि समारोह सीमावर्ती गांव मराड़ा में उनके निवास स्थान पर आयोजित हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 03:03 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 03:03 PM (IST)
नम आंखों से लांसनायक विक्रम दत्त को किया नमन
नम आंखों से लांसनायक विक्रम दत्त को किया नमन

संवाद सूत्र, बहरामपुर : भारतीय सेना की 235 बंगाल इंजीनियर रेजीमेंट के शहीद लांसनायक विक्रम दत्त का 14वां श्रद्धांजलि समारोह सीमावर्ती गांव मराड़ा में उनके निवास स्थान पर आयोजित हुआ। इंडियन एक्स सर्विसमैन लीग के जिला उपाध्यक्ष सूबेदार शक्ति पठानिया की अध्यक्षता में हुए समारोह में शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविदर सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए।

इनके अलावा शहीद की माता सोमा देवी, भाई सुरेंद्र कुमार व युद्धवीर, बहनें सुनीता, रानी व मीना, भाभी कमलेश, शहीद सिपाही जतिदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंस राज, शहीद सिपाही कुलदीप कुमार के पिता बंत राम आदि ने विशेष मेहमान के रूप में शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम शहीद की माता सोमा देवी व अन्य मेहमानों ने शहीद के चित्र के समक्ष ज्योति प्रज्जवलित व पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम का आगाज किया। कुंवर रविदर सिंह विक्की ने कहा कि शहीद राष्ट्र का सरमाया होते हैं। जो कौमें व देश अपने शहीदों व उनके परिजनों को भुला देते हैं उनका अस्तित्व मिट जाता है। उन्होंने कहा कि शहीद लांसनायक विक्रम दत्त त्याग व बलिदान की एक ऐसी मूर्त थे, जिसकी मिसाल बहुत कम देखने को मिलती है।

इस बहादुर सैनिक की दस दिन बाद शादी थी। घर पर मां शगुन के गीत गाकर सेहरे की लड़ियां बुन रही थी, मगर सरहद पर खड़ा बेटा अपना सैन्य धर्म निभाते हुए अपना बलिदान देकर वीरगति को दुल्हन के रूप में गले लगा लिया। सरपंच बोधराज ने मेहमानों का धन्यवाद किया। मुख्यातिथि ने शहीद के परिजनों सहित छह अन्य शहीद परिवारों को दोशाले भेंटकर सम्मानित किया। इस मौके पर पूर्व सरपंच राम लुभाया, विशाल, दीपक सैनी, नानक चंद, सुखविदर सिंह, संदीप कुमार, रिशब कुमार, बलजीत कुमार, मनजीत सिंह, अमित कुमार आदि उपस्थित थे। जिस सैनिक का जीवन देश के लिए काम आता है वह खुशकिस्मत : पठानिया

सूबेदार शक्ति पठानिया ने कहा कि सालों की तपस्या के बाद एक शहीद पैदा होता है। वह सैनिक खुशकिस्मत है, जिसका जीवन देश के काम आता है। उन्होंने कहा कि एक सैनिक के लिए राष्ट्र सर्वोपरि होता है, जिसके लिए वह अपने परिवार का भी परित्याग करने से पीछे नहीं हटता।

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